धर्मांतरण : अपनी गिरेवान में झांके अमरीका

भारत में यू पी ए, अमरीका नीत सरकार ...!
अमरीका के मूल निवासी रेड इन्डियन कहाँ हैं ...?
कौन  है साम्प्रदायिक ...!! 
उल्टा चोर कोतवाल को डांटें ...!!!  
- अरविन्द सीसोदिया 
          हाल ही में अमरीका ने भारत  के आंतरिक मामलों में दखल देते हुए .., भारत की भाजपा राज्य सरकारों की आलोचना की है .., ये आलोचना उन्होंने भारत में धर्मांतरण करमें में लगे हुए  ईसाई संगठनों के द्वेष पूर्ण कथित रिपोर्टों / आलोचनाओं के आधार पर की गई है ! ये एक तरह से अमरीकी सरकार का खुला हस्तक्षेप है .., भारत सरकार को इसका विरोध करना चाहिए था...! मगर वह तो स्वंय एक कैथोलिक ईसाई महिला सोनिया गांधी के नेतृत्व में  अमरीकी नीतियों को आगे बढ़ाने में लगी  हुई  है ! पोप भारत की भूमि पर खड़े होकर कह ही गये हैं कि इस सहस्त्रावदी में एशीया महाद्वीप को भारत सहित ईशा की शरण में लाना है ....!! अमरीकी सरकार की टिप्पणीं .., उसी मकसद  का एक हिस्सा है ...!!  इससे पहले इन्होने पहली सहस्त्रावदी में यूरोप महादीप  को इसाई बनाया ...! दूसरी सहस्त्रावदी में अमरीका , आस्ट्रेलिया और अफ्रीका महादीपों  को इसाई बनाया ...! अमेरिका के मूल निवासी किस निर्मामता से खत्म कर दिए गये...!! धर्मयुद्ध किसने लडे ...!!खलीफा धर्म गुरु थे उनका पद किसने ख़त्म करवाया..!! ये सारी बातें वे हैं जिन पर खुद ईसाई धर्म के रणनीती करों को आत्म निरिक्षण करना है ...!! दुनिया में एक मात्र ईसाई पंथ यह कह रहा है की चालू सहस्त्रावदी में एशिया को ईसाई बनाना है ..! कौन  है साम्प्रदायिक ...!! उल्टा चोर कोतवाल को डांटें ...!!!

US President George W. Bush presents the Medal of Freedom to Pope John Paul II, in June 2004


-- कुछ साल पहले वेटिकन के राजा पोप दिल्ली आये थे। दिल्ली में उन्होंने बाकायदा प्रैस कान्फ्रैंस करके घोषणा की थी कि चर्च की आगे की रणनीति 21वीं शताब्दी में भारत को मतातंरित कर लेने की है। क्योंकि पिछले 2000 सालों में चर्च ने यूरोप व अफ्रीका को सफलतापूर्वक मतातंरित कर लिया है। सोनिया गांधी और उनके दरबारियों के लिए तो यही भारत की सबसे बड़ी सेवा होगी।       


Prime Minister of India, Rajiv Gandhi and his wife Sonia Gandhi are seen with The Holy father Pope John Paul II (centre), during the former's visit to India, in New Delhi on February 1, 1986.

     मेरा मानना है की किसी का भी धर्मांतरण नहीं होना चाहिए...! ईसाई मिसनारियाँ प्रलोभन के आधार पर समस्त विश्व में  धर्मांतरण करवाने में लगी हुई हैं ! जहाँ जन जागरण हो रहा है , उनके इस साम्प्रदायिक कार्य पर निगाह रखी जा रही है .., उनकी इसाई संगठन आलोचना कने लगते हैं ! अमरीका सहित तमाम ईसाई देश उनके पक्ष में चीखने चिल्लाने लगते हैं ...! अमरीका  ने जम्मू और कश्मीर में हिन्दू उत्पीडन पर कभी मुंह  नहीं खोला ...!! पाकिस्तान और बांगलादेश में जो हो रहा है वह भी सबके सामने है !! दुनिया में बहुत से देश धर्म के आधार पर शासन चलाते हैं ...!! उसे दूसरे लोगों पर थोप्तें हैं .., मगर उन मामलों में पूरी तरह से चुप्पी...!!! आपने अपने पॉप को सम्मान देने के लिए उन्हें एक नाम मात्र के भू भाग का राष्ट्रध्यक्ष बना रखा है ताकी उन्हें विश्व में जहाँ जाएँ वहां राष्ट्राध्यक्ष जैसा सम्मान मिले ...और दूसरे धर्म और राष्ट्रवादियों पर निशाने दागे जा रहें हैं ...!! पीछले दो हजार साल में हिन्दुओं ने धर्मांतरण  नही करवाया है ..., मतांतरण  करवाने वाले कौन रहे हैं यह पूरा विश्व जनता है ...!!
अमान्य है यह टिप्पणी  ....!            

--  न्यूयार्क। अमेरिका के विदेश मंत्रालय की एक नई रिपोर्ट में दावा किया गया है कि भारत में कांग्रेस नीत संप्रग सरकार धार्मिक स्वतंत्रता की रक्षा करने के लिए प्रतिबद्ध है लेकिन कुछ राज्य सरकारों ने इस बारे में कुछ सीमाएं तय की हैं। विदेश मंत्रालय की  जारी अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट में कहा गया है कि कानून और व्यवस्था कायम रखने के लिए जिम्मेदार कुछ राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासनों ने धर्मातरण रोकने वाला कानून लागू कर धार्मिक स्वतंत्रता सीमित कर दी और अल्पसंख्यकों पर हमला करने वालों के खिलाफ उचित तरीके से मुकदमा नहीं चलाया।
          रिपोर्ट में कहा गया है कि राष्ट्रीय सरकार के खिलाफ धार्मिक स्वतंत्रता के हनन की कोई रिपोर्ट नहीं है लेकिन मानवाधिकार कार्यकर्ता उस पर कथित रूप से राज्य एवं स्थानीय प्रशासन और नागरिकों द्वारा किए गए हनन के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करने के आरोप लगाते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि देश की वर्तमान केंद्र सरकार की धार्मिक सहिष्णुता के लिए प्रतिबद्धता के बावजूद सांप्रदायिक हिंसा के समय समय पर सर उठाती रही है तथा इसके प्रति सरकार की प्रतिक्रिया, विशेष रूप से राज्य सरकारों और स्थानीय प्रशासनों की प्रतिक्रिया कुल मिलाकर अपर्याप्त रही है।
        इसमें कहा गया है कि लोकतांत्रिक व्यवस्था, खुला समाज, स्वतंत्र कानूनी संस्थान, उत्साही नागरिक समाज और स्वतंत्र प्रेस धार्मिक स्वतंत्रता का उल्लंघन रोकने के लिए सक्रिय रूप से व्यवस्था प्रदान करते हैं। रिपोर्ट में वर्ष 2008 से 2010 के बीच धार्मिक उत्पीड़न के कई उदाहरणों का उल्लेख किया गया है। इसमें 29 अप्रैल 2010 को आंध्र प्रदेश के महबूबनगर जिले में कथित रूप से धर्मांतरण संबंधी गतिविधियों के लिए पादरी पर किया गया हमला शामिल है। इस हमले के लिए लिए ऑल इंडिया क्रिश्चियन काउंसिल ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को जिम्मेदार बताया था। रिपोर्ट के अनुसार, कर्नाटक के ईसाई समूहों का आरोप है कि स्थानीय पुलिस हिंदूवादी समूहों के उकसाने पर पादरियों का उत्पीड़न करती है। इसमें यह भी कहा गया है कि वर्ष 2009- 2010 के अवधि के बीच जम्मू कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय पर विद्रोही ताकतों, विदेशी ताकतों या आतंकी गुटों द्वारा हमले किए जाने की कोई खबरें नहीं हैं।

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