विजय दिवस न भूले भारतीय मीडिया


- अरविन्द सीसोदिया
भारत पाक़ के मध्य मात्र भूमि विभाजन ही नही हुआ, बल्कि सम्बन्ध भी युद्ध के रूप में प्रारंभ हुए ...! १९४७-४८, १९६५ , १९७१ , छदम युद्ध   और १९९९ में हमारे वीर जवानों ने पाकिस्तान पर विजय प्राप्त की उसे पीछे धकेला ...! इन जीतों पर में सबसे बड़ी जीत १९७१ में १६ दिसम्बर को प्राप्त की थी ; जिसमें पाकिस्तान के ९० हजार से अधिक सैनिकों ने आत्म समर्पण किया था ! यह युद्ध विजय इसलिए  भी महत्वपूर्ण थी की पाकिस्तान के पंजाबी मुसलमान हुक्मरानों के शोषण से  बंगाली मुसलामानों को मुक्ती मिली थी !
       
३ दिसम्बर से १६ दिसम्बर तक चले इस १४ दिनी युध्द  में न केवल भारत की जीत हुई बल्की अमरीकी चालों की भी बड़ी  पराजय हुई थी ..! उनका ७वाँ बेडा समुद्र में ही रह गया और भारतीय फौजों ने पाकिस्तानी फौजों कि कमर तोड़ दी थी ! पाकिस्तान के सैनिक तानाशाह जनरल मोहम्मद यहियाँ खान और अमरीकी राष्ट्रपती निक्सन के तमाम षड्यंत्र विफल करते हुए प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी  ने पाकिस्तान से बांगलादेश की मुक्ति को संभव बनाया ..! दुर्भाग्य वश हम इस अवसर को भी देश हित में नहीं बदल सके ..! पाकिस्तान में दबा हुआ जम्मू - कश्मीर का भू भाग इस अवसर पर वापिस लिया जा सकता  था , मगर उस पर हम चुके ..!
        वर्तमान सरकार को विजय दिवस हो सकता है की महत्वपूर्ण न हो ..,कहीं मुसलमान नाराज न हो जाये ..!!  क्यों कि उनकी धर्म निरपेक्षता का मतलव ही साम्प्रदायिकता है .., वह भी मात्र हिन्दुओं  को दो गाली सुबह और दो गाली सांयकाल  ...! और किसी भी पंथ - विश्वास का हो वह इनका  बन्धु है ..! देश विरोधी हो या देशद्रोही हो तो भी चलेगा ..! मगर भारतीय मीडिया को यह याद राष्ट्र स्वाभिमान में  खुशी पूर्वक मनानी चाहिए ! सरकार भले ही भूले मगर  मीडिया कर्तव्य तो राष्ट्र के मान स्वाभिमान से जुड़ा है ..!

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