भ्रष्टाचार का तूफ़ान : सुनो सुनो अदालत कुछ कह रही है ...



- अरविन्द सीसोदिया
नीचे इलाहवाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ के एक आदेश से जुडी दो खबरें हैं ...जिसमें न्यायालय ने बहुत जोर से भारतीय राजनीति और प्रशासन  तंत्र से खरी खरी कही है ...! इसे भारत के राष्ट्रपति , प्रधान मंत्री और गठबंधन सरकार की मुखिया को ध्यान देना चाहिए ..! विशेष कर उस समय जब सारा देश भ्रष्टाचार के तूफ़ान में डूबा जा रहा हो तब तो इन बेहतर आवाजों को ध्यान से सुना जाना चाहिए ...! 
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अनाज घोटाले पर अदालत सख्त

लखनऊ, शनिवार, 4 दिसंबर 2010
इलाहाबाद उच्च न्यायालय की पीठ ने अनाज घोटाले के मामले में कहा कि यदि राज्य सरकार भ्रष्टाचार के मामले में मुकदमें के लिए तीन महीने में अनुमति नहीं देती है तो उसके लिए किसी अनुमति की आवश्यकता नहीं है।न्यायमूर्ति देवीप्रसाद सिंह ओर न्यायमूर्ति एस.सी.चौरसिया की खंडपीठ ने राज्य के मुख्य सचिव को आदेश दिया कि राज्य में हुए 35 हजार करोड़ रुपए के अनाज घोटाले समेत भ्रष्टाचार के ऐसे सभी मामले जिसकी सीबीआई अथवा राज्य की अन्य एजेंसी कर रही है और जिसमें अधिकारियों की संलिप्तता है उन पर मुकदमा चलाने की अनुमति तीन महीने के अंदर दें।
खंडपीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार निरोधक कानून 1988 के अनुसार तीन महीने में अनुमति दिया जाना जरूरी है। अनुमति नहीं दिए जाने पर यह माना जाएगा कि इसमें सरकार की मौन स्वीकृति है और अब किसी अनुमति की जरूरत नहीं होगी। अदालत में ऐसे अधिकारियों के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया जाएगा और कानून के अनुसार उन पर मुकदमा चलता रहेगा।खंडपीठ ने सीबीआई को आदेश दिया कि बलिया. लखीमपुरखीरी और सीतापुर के साथ ही वाराणसी, गोंडा तथा राजधानी लखनऊ में भी हुए अनाज घोटाले की जाँच को अपनी जद में लाए।प्रर्वतन निदेशालय और केन्द्रीय वित्त मंत्रालय इस बात की जाँच करे कि घोटाले की करोड़ों रुपए की राशि कहाँ गई।खंडपीठ ने केन्द्र सरकार को सरकारी कर्मचारियों पर मुकदमा चलाने के कानून में संशोधन करने को भी कहा। खंडपीठ ने कहा कि यदि कोई अधिकारी बाहर का है तो उसके खिलाफ जाँच सीबीआई करेगी।भ्रष्टाचार के मामले में जब किसी वरिष्ठ अधिकारी का नाम आता है तो दंड प्रक्रिया संहिता 198 के तहत सरकार मुकदमा चलाने के लिए राज्यपाल से अनुमति लेती है।केन्द्र सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले लोगों के लिये अन्त्योदय योजना और स्कूली बच्चों के लिए मिड डे मील के तहत करोड़ों रुपए का अनाज राज्य में भेजा था लेकिन यह अनाज गरीबों और जरूरतमंदों तक नहीं पहुँचा।
जनहित याचिका में दावा किया गया है कि पूरा घोटाला एक लाख करोड़ रुपए का है। गरीबों के लिए आए अनाज को नेपाल और बांग्लादेश भेजने के साथ ही खुले बाजार में भी बेच दिया गया है। (वार्ता)
 
****लखनऊ । भ्रष्टाचार इस कदर चरम पर है कि इससे देश की एकता पर खतरा पैदा हो गया है। क्या न्यायपालिका को चुप रहना चाहिए? हे भगवान! मदद करो, शक्ति दो। यदि न्यायपालिका चुप रही या असहाय हुई तो देश से लोकतंत्र खत्म हो जाएगा। भ्रष्टाचार पर यह टिप्पणी इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने शुक्रवार को उत्तर प्रदेश में 2001 से 2007 तक हुए 35 हजार करोड़ के अनाज घोटाले मामले की सुनवाई के दौरान की। न्यायाधीश देवी प्रसाद सिंह और न्यायाधीश एस सी चौरसिया ने कहा कि भ्रष्टाचार के कारण देश भी टूट सकता है।सरकार को निर्देश
कोर्ट ने अनाज घोटाले मामले में केन्द्र सरकार को सरकारी कर्मचारी पर मुकदमा चलाने के कानून में संशोधन करने और राज्य सरकार को तीन माह में घोटाले में शामिल अधिकारियों के खिलाफ मुकदमा चलाने की स्वीकृति देने का आदेश दिया। यदि ऎसा नहीं हुआ तो माना जाएगा कि स्वयं स्वीकृति मिल गई है। इस संबंधी जनहित याचिका विश्नाथ चतुर्वेदी की ओर से दाखिल की गई थी, जिसमें कहा गया है केन्द्र सरकार की ओर से गरीबों को दिया जाने वाला अनाज राज्य के कुछ नेताओं और वरिष्ठ अफसरों की मदद से अन्य देशों में भेज दिया गया।केन्द्र सरकार ने गरीबी रेखा से नीचे रहने वालों के लिये अंत्योदय योजना और स्कूलों में बच्चों के लिये मिड डे मील के तहत करोड़ों रूपए का अनाज भेजा था। यह अनाज भी गरीबों और जरूरतमंदों तक नहीं पहुंचा।
सख्त कानून की पैरवी
कितना शर्मनाक है कि गरीबों के लिए आया करोड़ों का अनाज विदेशों और खुले बाजार में बेचा गया। जरूरतमंदों को एक दाना भी नहीं मिला। मनु ने कहा था कि लोग कानून का पालन इसलिए नहीं करते कि वे इसे मानते हैं। दरअसल वे सजा के डर से कानून का पालन करते हैं।
कौन बांधे घंटी
प्रशासन में भ्रष्टाचार आम हो गया है। ईमानदारी उदाहरण की बात होकर रह गई है।
आम आदमी की हालत 'बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे' वाली है।
सरल कानून लोगों को गलत कदम उठाने को उकसाता है। सख्त कानून गलत करने से रोकता है।
तो दौड़ा-दौड़ा कर पीटे जाएंगे भ्रष्टाचारी
अदालत ने कहा, सरकार ने भ्रष्टाचार को रोकने के लिए कदम नहीं उठाया तो जनता कानून अपने हाथ में ले लेगी। भ्रष्टाचारियों को सड़कों पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा जाएगा।
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जरूरतमंद रहे महरूम 
इलाहाबाद हाईकोर्ट की खंडपीठ ने कहा, यह कितना शर्मनाक है कि गरीबों के लिए करोड़ों रुपए के अनाज को विदेशों और खुले बाजार में बेचा गया और जरूरतमंदों को एक दाना भी नहीं मिला। अनाज के परिवहन के साधन के नंबर तक दिए गए।
बिल्ली के गले की घंटी 
खंडपीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार में लिप्त लोगों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। प्रशासन में भ्रष्टाचार आम है, जबकि ईमानदारी उदाहरण की बात होकर रह गई है। आम आदमी की हालत ‘बिल्ली के गले में घंटी कौन बांधे’ की हो गई है।
भ्रष्टाचार अधिकार नहीं 
खंडपीठ ने कहा कि देश के नौकरशाहों का यह सोचना गलत है कि भ्रष्टाचार उनका अधिकार है और न्यायपालिका के पास उन्हें सजा देने के अधिकार बहुत ज्यादा नहीं हैं। कोर्ट अपना काम कर रही है और किसी भी भ्रष्ट को नहीं बख्शेगी।
हे भगवान! हमारी सहायता करो 
खंडपीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार इस कदर है कि इससे देश की एकता पर खतरा पैदा हो गया है। क्या न्यायपालिका को चुप रहना चाहिए। हे भगवान! सहायता करो और शक्ति दो। न्यायपालिका चुप रही, तो देश से लोकतंत्र खत्म हो जाएगा।

टिप्पणियाँ

  1. क्या आज सरकार की चाभी ..न्यायालय के पास है
    अगर हां तो क्या कार्यपालिका सब अक्षम है //
    mere blog par bhi padharee//
    http://babanpandey.blogspot.com

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