सत्य साई : नाशवान शरीर छोड़ना ही होगा .....


- अरविन्द सिसोदिया 
 भारतीय मान्यताओं में विलक्ष्ण शक्ति से युक्त अवतार होनें की पुष्ठी अनेकों  अवसरों पर की है और अन्तः यह नाशवान शारीर छोड़े ने के  भी प्रमाण है ..! श्री कृष्ण ने भी अपना शरीर छोड़ दिया था ..!! सांई ने भी शरीर छोड़ दिया है .., हिदू दर्शन आत्मा को अमर होने और स्थूल शरीर का सूक्ष्म शरीर होनें की बात पहले से ही कहता आया है ! सत्य साई को भी जाना ही था .., सभी को मरना और फिरसे आना है ..! हमारी सच्ची सद्भावना यही हो की हम .., दृश्य जगत के अतिरिक्त अदृश्य जगत के अस्तित्व को स्वीकार करें और समय समय पर उन परम शक्तियों  के द्वारा दिखाए मार्ग पर चलें .., सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माता एक है .., उसको अलग अलग नाम हमनें ही दिए हैं और हम ही बेकार में आपस में लड़ते रहते हैं ..! उसके लिए हर जीव उसकी संतान है ..! सच्ची भक्ति भी यही है कि समाज में सुधार के प्रयत्न करें ..!! एकता  सदभाव और समन्वय के प्रयत्न करें ..!!!
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आजतक कि अभिव्यक्ति 
आम आदमी से लेकर राष्ट्रपति तक उनके भक्तों में शामिल रहे हैं, लेकिन पुट्टपर्थी के सत्य साईं बाबा के आध्यात्मिक प्रभाव के साथ ही उनसे विवाद भी जुड़े रहे हैं.
भारत में अनेक आध्यात्मिक संत हुए और हैं, लेकिन माना जाता है कि सत्य साईं बाबा के नाम और प्रसिद्धि की बराबरी शायद ही कोई कर सके.
सत्य साईं बाबा का असर पूरी दुनिया में फैला हुआ है और भारत के अलावा विदेश में भी उनके लाखों भक्त हैं. बाबा के नामचीन भक्तों में प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री समेत आला दर्जे के नेता, फिल्मी सितारे, उद्योगपति और खिलाड़ी शामिल रहे हैं.
आंध्र प्रदेश के अनंतपुर जिले में पुट्टपर्थी गांव में एक सामान्य परिवार में 23 नवंबर 1926 को जन्मे सत्यनारायण राजू ने शिरडी के साईं बाबा के पुनर्जन्म की धारणा के साथ ही सत्य साईं बाबा के रूप में पूरी दुनिया में ख्याति अर्जित की.
आंध्र प्रदेश का छोटा-सा गांव पुट्टपर्थी अंतरराष्ट्रीय नक्शे पर छा गया और इसकी वजह है कि बाबा के आध्यात्मिक स्थल प्रशांति निलयम में दिन-रात विदेशी भक्त आते जाते रहे हैं. इस कस्बे में एक विशेष हवाई अड्डे पर दुनिया के अनेक हिस्सों से बाबा के भक्तों के चार्टर्ड विमान उतरते रहे हैं.
प्रारंभिक जीवन में सत्यनारायण राजू को ‘असामान्य प्रतिभा’ वाले परोपकारी बालक की संज्ञा दी गयी. नाटक, संगीत, नृत्य और लेखन प्रतिभा वाले इस बालक ने अनेक कविताएं और नाटक लिखे. गायक के रूप में भी उनकी पहचान बनी और उनके भजनों की अनेक सीडी आईं.
सत्यनारायण राजू ने 20 अक्तूबर 1940 को 14 साल की उम्र में खुद को शिरडी वाले साईं बाबा का अवतार कहा. जब भी वह शिरडी साईं बाबा की बात करते थे तो उन्हें ‘अपना पूर्व शरीर’ कहते थे.
सत्य साईं बाबा अपने चमत्कारों के लिए भी प्रसिद्ध रहे और वे हवा में से अनेक चीजें प्रकट कर देते थे और इसके चलते उनके आलोचक उनके खिलाफ प्रचार करते रहे.
सत्य साईं बाबा के आश्रम में कथित स्कैंडलों की भी खबरें सामने आईं. उनके खिलाफ यौन व्यवहार संबंधी सवाल भी खड़े होते रहे, लेकिन उन्होंने व उनके भक्तों ने इसे उनके विरोधियों की साजिश कहकर खारिज किया.
उनके करीबी सहयोगियों ने ही 6 जून 1993 को कथित तौर पर उन्हें जान से मारने की भी कोशिश की. प्रशांति निलयम में बाबा के कक्ष में उनके छह शिष्यों की इसमें मौत हो गयी. ये सभी बाबा के करीबी लोगों में से थे, जिनमें उनके निजी सहयोगी राधा कृष्ण मेनन भी शामिल थे. इस पूरे मामले की सचाई रहस्य में ही रही.
सत्य साईं बाबा के अनुयायियों ने 1944 में पुट्टपर्थी में एक छोटा मंदिर बनवाया और 1950 में एक विशाल आश्रम बनाया गया जो ‘प्रशांति निलयम’ के तौर पर उनका स्थाई केंद्र बन गया.
बाबा ने आध्यात्मिक उपदेशों के साथ ही सामाजिक क्षेत्र में भी अनेक सेवा कार्य किये. जिनकी शुरुआत पुट्टपर्थी में एक छोटे से अस्पताल के निर्माण के साथ हुई, जो अब 220 बिस्तर वाले सुपर स्पेशलिटी सत्य साई इंस्टीट्यूट ऑफ हायर मेडिकल साइंसेस का रूप ले चुका है.
इसके अलावा बेंगलूर के बाहरी इलाके में 333 बिस्तर वाला एक और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल एसएसआईएचएमएस खोला गया. यहां बाबा का ग्रीष्मकालीन केंद्र वृंदावन है. सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट इन सभी सामाजिक सेवा गतिविधियों को देखता है और पुट्टपर्थी में सत्य साई विश्वविद्यालय भी संचालित करता है. इसके अलावा यह ट्रस्ट अलग अलग प्रदेशों में अनेक स्कूलों और डिस्पेंसरियों का भी संचालन करता है. सत्य साई सेंट्रल ट्रस्ट ने आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु और महाराष्ट्र में बड़ी जल आपूर्ति परियोजनाओं पर भी काम किया है.
सत्य साईं सेवा संगठन के स्वयंसेवक आंध्र प्रदेश ही नहीं बल्कि देश के अन्य हिस्सों में प्राकृतिक आपदाओं के वक्त राहत व पुनर्वास कार्यों में भी आगे से आगे सेवाकार्य करते देखे जा सकते हैं.
सत्य साईं बाबा ने भारत में तीन मंदिर भी स्थापित किये, जिनमें मुंबई में धर्मक्षेत्र, हैदराबाद में शिवम और चेन्नई में सुंदरम हैं. इनके अलावा दुनियाभर के 114 देशों में सत्य साई केंद्र स्थित हैं.
सत्य साईं बाबा ने 1957 में उत्तर भारत के मंदिरों का भ्रमण किया और अपनी एक मात्र विदेश यात्रा पर 1968 में युगांडा गये. सत्य साईं बाबा ने 1963 में चार बार गंभीर हृदयाघात का सामना किया था.
वर्ष 2005 से ही बाबा व्हीलचेयर पर थे और खराब स्वास्थ्य के कारण बहुत कम ही सार्वजनिक कार्यक्रमों में आते थे. वर्ष 2006 में बाबा को कूल्हे में फ्रेक्चर हो गया जब लोहे के स्टूल पर खड़े एक विद्यार्थी के फिसलने से वह और स्टूल दोनों ही बाबा पर गिर गये. वह अपने भक्तों को कार से या पोर्ट चेयर से दर्शन देते थे.
  

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