कोटा में सृष्टि के प्रथम पत्रकार देवर्षि नारद मुनि की जयंती उत्साह पूर्वक मनाई गई









नारद जी सृष्टि के प्रथम पत्रकार थे 
नारद से आज के मिडिया जगत को अप्रभावित   रहना सिखाना चाहिए | 
हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को अधिक मुखर करें
     सदैव सत्य कहना,सत्य के मार्ग पर चलना , सत्य को जीवन में धारण करना और जीवन को सत्य के अनंत आकाश में विचरण करनें के लिए आजाद पंछी की भांति छोड़  देना , ये वो गुण हैं , जो देवर्षि मुनि नारद ने समाज को सिखलाये |       
    कोटा १९ मई | राष्ट्र चेतना अभियान समिति , कोटा महानगर के तत्वाधान में,गुरुवार  सांयकाल ६ बजे , मानव विकास भवन , कोटा में एक विचार गोष्ठी आयोजित कर सृष्टि के प्रथम पत्रकार देवर्षि नारद मुनि की जयंती उत्साह पूर्वक मनाई गई | उन्हें भावभीनी  आदरांजलि अर्पित करते हुए धर्म के प्रवक्ता , देवताओं के संवाददाता,  प्रथम पत्रकार और लोक - कल्याण को समर्पित देव व्यक्तित्व के रूप में चित्रित किया गया | 
      गोष्ठी के मुख्यवक्ता अरविन्द सिसोदिया ने आदि काल के पत्रकार देवर्षि नारद जी से जुड़े अनेक प्रशंगों को सुनते हुए उनकी  विविध गुणवत्ताओं तथा बहुआयामी व्यक्तित्व  पर प्रकाश डाला |  उनके जीवन को आधुनिक संदर्भों के लिए नए ढंग से शोध करने तथा सूचीबद्ध करने की जरुरत बताते हुए कहा वे सिर्फ संवाददाता मात्र नहीं थे , बल्कि वे राजनीती  शास्त्र में गुड गवर्नेंस और समाजशास्त्र में कल्याणकारी राज्य की दिशा  के निर्धारक  सूत्रों के भी प्रणेता थे  | सिसोदिया ने कहा आज जब विश्व की कई शक्तियाँ हमें हमारे पूर्वजों के पुरुषार्थो और उनकी विशिष्ठ गुणबत्ताओं  से विस्मृत कर देना चाहती  हैं ! इन परिस्थितियों में हमारा यह कर्तव्य और बढ़ जाता है कि हम अपनी सांस्कृतिक पहचान को अधिक मुखर करें | 
      उन्होंने कहा सरकारेंभिन्न भिन्न प्रकार के विदेशी - डे मनानें के लिए तो विज्ञापन देती है , मगर वह भारत के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम को याद करना भूल जाती है ! सरकारें जब देश के स्वाभिमान और गौरवान्वित तथ्यों को निहित योजना के तहत उपेक्षित करतीं हैं तो यह समाज की जबावदेही को और बढ़ा देता है कि हम , अपनें हर गौरवान्वित स्मृतियों को स्वंय याद करें शानदार ढंग से आयोजित करें | 
     सिसोदिया ने कहा नारदजी की जयंती को सृष्टि के प्रथम पत्रकार के रूप में प्रतिवर्ष आयोजित करना चाहिए , इस अवसर पर पत्रकारिता से जुड़े लोगों को सम्मानित करना चाहिए , निबंध एवं एनी प्रकार की प्रतियोगिताएं भी रखनी चाहिए | बड़े आयोजन के रूप में मनानी चाहिए | 
    मुख्य अतिथि एक बड़े समाचार पत्र के पूर्व प्रबंधक आर पी कोठ्यारी ने नारद जी के संवाददाता से जुड़े गुण वैशिष्ठ्य पर प्रकाश डालते हुए कहा नारद की सूचना सत्य में गुणाभाग नहीं लगाती थी .., जो जैसा है वैसा ही होता है , वह कितनी ही बार दोहराया जाये सदैव ही सत्य से डिगती  नहीं थी , जबकि मानवीय सूचनाएँ प्रेरित हो जाती हैं या मानवीय स्वभाव के कारण बढ घट जाती हैं | नारद से आज के मिडिया जगत को अप्रभावित   रहना सिखाना चाहिए | उन्होंने नारद जी के लोक कल्याणकारी स्वरूप पर प्रकाश डालते हुए कहा मिडिया  का ध्येय सर्व प्रथम समाज कल्याणकारी स्वरूप की प्राथमिकता माय होना चाहिए | 
     कार्यक्रम के अध्यक्ष पूर्व संपादक विनय भार्गव ने अपने संबोधन में कहा आज न्यूसेंस  और निगेटिव न्यूज की प्राथमिकता में मिडिया के मूल उद्देश्य में भटकाव आगया है | मिडिया को स्वंय ही अपनी आचार संहिता बनानी चाहिए | सरकार आचार संहिता बनायेगी तो सेंसर कहा जाएगा , इस कारण पत्रकार जगत को स्वंय पहल कर एक आचार संहिता बना लेनी चाहिए की हम न्यूसेंस और निगेटिव्स  को नकार देंगे तो अपने आप ही न्यूसेंस और निगेटिव्स  का प्रदूषण  समाप्त हो जाये | स्वस्थ पत्रकारिता के लिए जरुरी है अच्छी समाचार सामग्री को हम पर्याप्त प्राथमिकता दें | प्रभावित करने वाले तत्वों को नकार दिया जाते तो समाचार स्वंय अप्रभावित हो जाएगा | 
       वरिष्ठ संपादक प्रताप सिंह तोमर ने कहा नारद जी की निर्भीकता भी हमारे पत्रकारिता गुण को एक मार्ग प्रदान करती है , वे बिना देवों से डरे और बिना दैत्यों से डरे हर जगह पहुचते थे और जो कहना उचित था वे कहते थे , गलत रास्ते पर चलने वालों को भी टोकते थे , सावधान करते थे | उन्होंने कहा नारद जी के लम्बे कथानक जो अनेकों ख्याति प्राप्त संदर्भों में हमें प्राप्त होते हैं , वे यही कहते हैं की एक समाचार किसी भी तरह किसीभी उच्चता से प्रभावित नहीं होना चाहिए | 
 कार्यक्रम में गिरिराज गुप्ता , एड. मनोज गौतम ने भी विचार व्यक्त किये , कार्यक्रम के प्रारंभ में समिति के कार्यों पर महेश शर्मा ने प्रकाश डाला और चिदानंद शर्मा ने संचालन किया | गोष्ठी में खुशपाल सिंह , जटा शंकर शर्मा , नेता खंडेलवाल आदि प्रमुख रूप से उपस्थित थे | 

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