लालकृष्ण आडवाणी ....



- अरविन्द सिसोदिया, कोटा , राजस्थान |
लालकृष्ण आडवाणी तीन बार भारतीय जनता पार्टी के अध्यक्ष पद पर रह चुके हैं। आडवाणी चार बार राज्यसभा के और पांच बार लोकसभा के सदस्य रहे। वर्तमान में भी वो गुजरात के गांधीनगर संसदीय क्षेत्र से लोकसभा के सांसद हैं।वर्ष 1977 से 1979 तक पहली बार केंद्रीय सरकार में कैबिनेट मंत्री की हैसियत से लालकृष्ण आडवाणी ने दायित्व संभाला। आडवाणी इस दौरान सूचना प्रसारण मंत्री रहे।
आडवाणी ने अभी तक के राजनीतिक जीवन में सत्ता का जो सर्वोच्च पद संभाला है वह है एनडीए शासनकाल के दौरान उपप्रधानमंत्री का। लालकृष्ण आडवाणी वर्ष 1999 में एनडीए की सरकार बनने के बाद अटल बिहारी वाजपेयी के नेत़ृत्व में केंद्रीय गृहमंत्री बने और फिर इसी सरकार में उन्हें 29 जून, 2002 को उपप्रधानमंत्री पद का दायित्व भी सौंपा गया। भारतीय संसद में एक अच्छे सांसद के रूप में आडवाणी अपनी भूमिका के लिए कभी सराहे गए तो कभी पुरस्कृत भी किए गए।
वर्ष 1951 में डॉक्टर श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जनसंघ की स्थापना की। १९५२ में उन्हें संघ ने जनसंघ में भेजा तब वे कोटा राजस्थान में संघ के प्रचारक थे.....पहले उन्होंने राजस्थान में कम किया फिर दिल्ली में | कार्य क्षमता के आधार पर आप केन्द्रीय स्तर पर पहुचे और बड़े पदों पर कम किया | आडवाणी पार्टी के सचिव भी रहे। वर्ष 1973 से 1977 तक आडवाणी ने भारतीय जनसंघ के अध्यक्ष का दायित्व संभाला। वर्ष 1980 में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना के बाद से 1986 तक लालकृष्ण आडवाणी पार्टी के महासचिव रहे। इसके बाद 1986 से 1991 तक पार्टी के अध्यक्ष पद का उत्तरदायित्व भी उन्होंने संभाला।
इसी दौरान वर्ष 1990 में श्री राम मंदिर आंदोलन के दौरान उन्होंने सोमनाथ से अयोध्या के लिए रथयात्रा निकाली। हालांकि आडवाणी को बीच में ही गिरफ़्तार कर लिया गया पर इस यात्रा के बाद आडवाणी का राजनीतिक कद और बड़ा हो गया।1990 की रथयात्रा ने लालकृष्ण आडवाणी की लोकप्रियता को चरम पर पहुँचा दिया था। वर्ष 1992 में बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद जिन लोगों को अभियुक्त बनाया गया है उनमें आडवाणी का नाम भी शामिल है।
आठ नवंबर, 1927 को वर्तमान पाकिस्तान के कराची में लालकृष्ण आडवाणी का जन्म सम्पन्न परिवार में हुआ था । उनके पिता श्री के डी आडवाणी और माँ ज्ञानी आडवाणी थीं । विभाजन के दौरान वे  भारत आ गए तथा संघ के प्रचारक के रूप में काम किया  | आडवाणी ने 25 फ़रवरी, 1965 को 'कमला आडवाणी' को अपनी अर्धांगिनी बनाया । आडवाणी के दो बच्चे हैं। 
लालकृष्ण आडवाणी की शुरुआती शिक्षा लाहौर में ही हुई पर बाद में भारत आकर उन्होंने मुंबई के गवर्नमेंट लॉ कॉलेज से लॉ में स्नातक किया । आज वे भारतीय राजनीति में एक बड़ा नाम हैं।

भाजपा का ‘हिन्दुत्व वादी ’ चेहरा 85 वर्षीय आडवाणी का कट्टर नेता के रूप में पार्टी के सभी नेताओं और कार्यकर्ताओं में सम्मान है। 1984 में केवल दो सीटों वाली पार्टी को 1999 में 182 सीटों तक पहुँचाने का श्रेय आडवाणी को ही  है।

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