पाकिस्तान में महा चरमपंथ का राज



अति कट्टरवाद ...
पाकिस्तान का निर्माण ही साम्रदायिक आधार पर हुआ , उसमें रहने वालों और शासन करने वालों की मानसिकता भी वही रही ... विश्व के अन्य देशों को उस पर कठोर नियंत्रण रखना चाहिए था.., मगर अमरीका, ब्रिटेन  सहित तम देशों ने उसकी हर नाजायज बात का पक्ष लिया , अमरीका और ब्रिटेन के कुछ कुछ भुगता है ...!!! मगर अब इन्होनें ठीक से पाकिस्तान पर सिकंजा नहीं कसा तो , बड़े नुकशान को उठाना  पडेगा...   
--------
"पाकिस्तान में चरमपंथ का राज"
लिंक http://www.dw-world.de/dw/article
जर्मनी की ग्रीन पार्टी की करीबी संस्था हाइनरिष बोएल में काम करने वाले ग्रेगर एन्स्टे पाकिस्तान में पांच साल रहे. उन्होंने जो महसूस किया, उसे डॉयचे वेले के साथ एक इंटरव्यू में साझा किया. ग्राहम लूकस से बातचीत के अंश.
पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान में चरमपंथ बहुत बढ़ गया है. पिछले तीन दशकों में हजारों धार्मिक स्कूल खुल गए हैं, जो युवाओं में पश्चिम के खिलाफ भावनाएं भरने का काम कर रहे हैं. उनका पहला लक्ष्य धार्मिक आधार पर राष्ट्र चलाना है. पाकिस्तान में आतंकवाद पनपाने वाली संस्थाएं काफी सालों से बड़े धड़ल्ले से काम कर रही हैं. उन्हें कभी कभी पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई का समर्थन हासिल रहता है. समझा जाता है कि आईएसआई का तालिबान से भी संबंध है. हाल में धर्मनिरपेक्ष छवि वाले पंजाब के गवर्नर सलमान तासीर की हत्या कर दी गई. उन्होंने ईशनिंदा कानून का विरोध किया था और हैरत की बात है कि उनके कथित हत्यारों को भी पाकिस्तान में अच्छा खासा समर्थन मिला.


डॉयचे वेलेः आपने पांच साल पाकिस्तान में बिताए हैं. आप उस देश के भविष्य के बारे में क्या कहना चाहते हैं.


ग्रेगर एन्स्टेः मैं किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पाया हूं. मैं सिर्फ एक बात कह सकता हूं, दुर्भाग्यपूर्ण है कि पाकिस्तान गलत रास्ते पर जा रहा है. मैं यह बात भारी मन से कह रहा हूं. लेकिन अभी वहां अफरा तफरी नहीं मची है, जैसा अहमद रशीद ने अपनी ताजा किताब में लिखा है. लेकिन दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि वह धार्मिक कट्टरवादी समाज की ओर बढ़ रहा है. ऐसा समाज, जहां उदारवादी लोगों के लिए जगह घट रही है, खुलेपन की जगह घट रही है और दुर्भाग्य से ऐसा समाज बन रहा है, जहां का राजनीतिक धड़ा अपना ही विरोध कर रहा है.


डॉयचे वेलेः सलमान तासीर की हत्या के बाद आपने लोगों में क्या प्रतिक्रिया देखी.


ग्रेगर एन्स्टेः मुझे सदमा पहुंचा. बहुत बड़ा सदमा. खास तौर पर पढ़े लिखे युवाओं ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी. मुझे जो लगा कि लाहौर यूनिवर्सिटी जैसी जगहों पर भी युवाओं के दिमाग में कट्टरवादी सोच भरी जा रही है. जो दूसरी खतरनाक बात मैंने महसूस की, जो दो साल पहले वकीलों के संघर्ष के रूप में पाकिस्तान में उम्मीद की किरण दिख रही थी, जो पाकिस्तान में कानून का राज स्थापित करने की कोशिश कर रहे थे, जो पाकिस्तान में लोकतंत्र का समर्थन कर रहे थे, वे लोग तासीर के हत्यारे पर फूल की पत्तियां न्योछावर कर रहे थे.


इसलिए मेरे जैसे शख्स के लिए यह एक सदमा था, जिसने पांच साल पाकिस्तान में बिताए, जिसने पाकिस्तान को एक दोस्त की तरह अलविदा कहा, निजी दोस्त की तरह. मुझे समझ नहीं आया कि पाकिस्तान के समाज ने ऐसी प्रतिक्रिया क्यों दी.


डॉयचे वेलेः क्या आपको लगता है कि पाकिस्तान की सरकार चरमपंथ पर काबू पाने के लिए पर्याप्त कदम उठा रही है.


ग्रेगर एन्स्टेः नहीं, निश्चित तौर पर नहीं. और मुझे इस बात का डर है कि कहीं पाकिस्तान के अंदर के इस दुश्मन के खिलाफ कदम उठाने में बहुत देर न हो जाए. पाकिस्तान के अंदर जो दुश्मन है वह लोगों का कट्टरपंथी होना है. चरमपंथी कट्टरवादियों के कहे अनुसार काम करना है. एक चरमपंथी अल्पसंख्यक बहुसंख्यक पर राज कर रहा है. और पाकिस्तान सरकार निश्चित तौर पर बहुत नहीं कर रही है. मैं आपको एक उदाहरण देता हूं. पिछले साल जब मैं पाकिस्तान में था और लाहौर में काम कर रहा था, तो मैंने देखा कि बड़े चौराहों और जंक्शनों पर अहमदिया मुसलमानों के खिलाफ बड़े पोस्टर लगाए जा रहे थे, जिनमें कहा गया था कि अहमदिया मुसलमान नहीं हैं और उन्हें मार दिया जाना चाहिए. लाहौर के बड़े चौराहों पर लगाए गए इन पोस्टरों को पाकिस्तानी लोग और वहां का प्रशासन बर्दाश्त कर रहा था. वे निश्चित तौर पर बहुत नहीं कर रहे थे. उसके बाद क्या हुआ? एक बम धमाका, अहमदिया समुदाय की एक मस्जिद पर हमला, जिसमें 60-70 लोग मारे गए और समाज से बेहद खराब प्रतिक्रिया. मीडिया से बेहद खराब प्रतिक्रिया. मैं इसे मौन साजिश का रूप समझता हूं.
दूसरे, मैं पंजाब के पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज (पीएमएलएन) सरकार की बात करता हूं. उस घटना के एक दो महीने पहले पंजाब के चुने हुए मुख्यमंत्री शहबाज शरीफ ने एक बयान में पाकिस्तानी तालिबान तहरीके तालिबान को संबोधित करते हुए कहा, "मेरे प्यारे भाइयो, आप हम पर हमला क्यों कर रहे हैं. आखिर में तो हम एक ही देश के हैं और एक ही दुश्मन से मुकाबला कर रहे हैं. हम पश्चिमी सीमा पर अमेरिका से जंग कर रहे हैं." मैं इसे पाकिस्तान के अंदर आतंकवाद के खिलाफ सही जंग नहीं मानता.
मैं एक और बयान की बात करता हूं. मुंबई पर हुए आतंकवादी धमाके के फौरन बाद, जहां निश्चित तौर पर आईएसआई के समर्थन से एक संस्था ने मुंबई के होटलों पर हमला किया था. इसके बाद एक दो हफ्तों तक इस बात पर चर्चा चलती रही कि भारत के साथ कैसे बात करनी है. उस वक्त पीएलएमएन के मुखिया नवाज शरीफ का एक बयान आया कि जब पूर्वी सीमा पर हमारे असली दुश्मन से जंग की बात आएगी, तो तालिबान हमारा साथ देगा. मैं यह कहना चाहता हूं कि वहां आतंकवाद से निपटने और चरमपंथ के खिलाफ बहुत कमजोर प्रतिक्रिया है.
डॉयचे वेलेः इसका मतलब कि पाकिस्तान के संभ्रांत लोग भारत विरोधी भावना से इस कदर प्रभावित हैं कि वे इन सब बातों को बर्दाश्त कर रहे हैं.
ग्रेगर एन्स्टेः दुर्भाग्यपूर्ण बात है कि यह सही है. मैं ऐसा ही समझता हूं.
इंटरव्यूः ग्राहम लूकस
संपादनः ए जमाल/आभा एम

टिप्पणियाँ

इन्हे भी पढे़....

विश्व व्यापी है हिन्दुओँ का वैदिक कालीन होली पर्व Holi festival of Vedic period is world wide

हमारा देश “भारतवर्ष” : जम्बू दीपे भरत खण्डे

सेंगर राजपूतों का इतिहास एवं विकास

कांग्रेस ने देश को भ्रष्टाचार, तुष्टीकरण और आतंकवाद दियाः भजन लाल शर्मा bjp rajasthan

भाजपा की सुपरफ़ास्ट भजनलाल शर्मा सरकार नें ऐतिहासिक उपलब्धियां का इतिहास रचा

तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

कांग्रेस की हिन्दू विरोधी मानसिकता का प्रमाण

हमें वीर केशव मिले आप जबसे : संघ गीत

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग

सिसोदिया से जब इस्तीफा लिया तो अब स्वयं केजरीवाल इस्तीफा क्यों नहीं दे रहे - अरविन्द सिसोदिया