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जनवरी, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गांधीजी को बचाया जा सकता था ....

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- अरविन्द सीसोदिया  भारत की जिस महान आत्मा ने स्वतंत्रता के  महान संघर्ष का नेत्रत्व किया उसका नाम मोहनदास  करमचंद  गांधी था ! इस महान व्यक्तित्व नें रघुपति राघव राजा राम से लेकर हे राम तक के सफ़र में हमेशा हिन्दू मूल्यों को जिया और उनके महान असर से विश्व को परचित  करवाया ..! राष्ट्रपिता महात्मा  गांधी  की हत्या एक ऐसा सन्दर्भ  है जो कई प्रश्न खड़े करता है ??  उनकी सुरक्षा में कौताही क्यों बरती गई ????? यह बात स्वीकार नहीं की जा सकती  की गांधी जी ने यह नहीं करने दिया या वह नहीं करने दिया !! जिस दिन देश का गृह मंत्री कुशलक्षेम पूछ कर जाये , उसके कुछ घंटों में ही उसकी हत्या हो जाये ? यह एक एतिहासिक प्रश्न है !! गांधी वध के मूलमें .... * गांधी जी विभाजन के पक्ष में नहीं थे मगर उनके  करीबी सहयोगियों ने बंटवारे को एक सर्वोत्तम उपाय के रूप में स्वीकार इसलिए कर लिया था की उनके हाथ में सत्ता आनीं तय था ! नेहरु व सरदार पटेल ने गांधी जी को समझाने का प्रयास किया कि नागरिक अशांति वाले युद्ध और आराजकता को रोकने का यही एक उपाय है। मज़बूर गांधी ने अपनी अनुमति दे दी।  * १९४७ के (Indo-Pakistani War o

भगवद गीता के उपदेशों का ऋणी हूँ-गाँधी

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- अरविन्द सीसोदिया  महात्मा गाँधी का जन्म हिंदू धर्म में हुआ, उनके पूरे  जीवन में अधिकतर सिधान्तों की उत्पति हिंदुत्व से ही हुई ,  साधारण हिंदू कि तरह वे सारे धर्मों को समान रूप से आदर करते  थे और सारे प्रयासों जो उन्हें धर्म परिवर्तन के लिए कोशिश किए जा रहे थे उसे उन्होंने अस्वीकार किया. वे ब्रह्मज्ञान के जानकार थे और सभी प्रमुख धर्मो को विस्तार से पढ़तें थे. उन्होंने हिंदू धर्म के बारे में  कहा है.हिंदू धर्म के बारें में जितना मैं जानता हूँ यह मेरी आत्मा को संतुष्ट करता है |  और सारी कमियों को दूर  करता   है जब मुझे संदेह घेर लेता  है, जब निराशा मुझे घूरने लगती है और जब मुझे आशा की कोई किरण नजर नही आती है, तब मैं भगवद् गीता को पढ़ लेता हूँ और तब मेरे मन को असीम शान्ति मिलती है और तुंरत ही मेरे चेहरे से निराशा के बादल छंट जातें हैं और मैं खुश हो जाता हूँ.मेरा पुरा जीवन त्रासदियों से भरा है और यदि वो दृश्यात्मक और अमिट प्रभाव मुझ पर नही छोड़ता, मैं इसके लिए भगवद गीता के उपदेशों का ऋणी हूँ. गाँधी ने भगवद गीता की व्याख्या गुजराती में भी की है.महादेव देसाई ने गुजराती पाण्डुलिपि का अत

गांधी जी ने गिनाए , सात सामाजिक पाप

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- अरविन्द सीसोदिया वर्तमान भारतीय राजनीति का मूल स्त्रोत स्वतंत्रता के आन्दोलन के दौरान उपजा कांग्रेस नामक दल ही बना जो आज तमाम सिद्धांतों  और नैतिकताओं को छोड़ चुका है और उसी के प्रभाव से भारत की तमाम राजनीति भी दूषित हुई..! सामाजिक न्याय के रास्ते में जो अनैतिक्तायें आती हैं , उन्हें गांधीजी ने सात सामाजिक पाप के नाम से समय रहते गिनाया था !  वे जो आज भी प्रासंगिक हैं जिनकी आज भी उपयोगिता है ..! नीचे उन्हें दिया जा रहा है ..! महात्मा गांधी ही पुन्य तिथि पर इनका अनुशरण भारतीय राजनीति करे तो यह बापू को सबसे बड़ी श्रधांजलि होगी !  मोहनदास करमचंद गांधी (2 अक्तूबर 1869 - 30 जनवरी1948) भारत एवं भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक प्रमुख राजनैतिक एवं आध्यात्मिक नेता थे। सत्‍य के मूल्‍यों की सार्थकता और अहिंसा को महात्‍मा गांधी द्वारा दशकों पहले आरंभ किया गया और ये मान्‍यताएं आज भी सत्‍य हैं। विभिन्‍न संस्‍कृतियों और धर्मों के आदर से हम एक दूसरे की बात सुनें, आपस में बोलें और सभी की प्रशंसा करें। एक अनोखी लोकतांत्रिक व्‍यवस्‍था वह है जहां प्रत्‍येक के लिए चिंता, प्रमुख रूप से निर्धनों, महिलाओं

इटालियन सेक्स स्केंडल

- अरविन्द सीसोदिया  अय्याशी की कहानी बताकर रो पड़ी बार डांसर इटली के प्रधानमंत्री बर्लुस्कोनी का सेक्स स्कैंडल में नाम आने के बाद इटली की रजनीति में बवाल उठ खड़ा हुआ है। मोरक्को की रहने वाली रूबी का नाम भी बर्लुस्कोनी से संबंध बनाने में आया। मोरक्को की रहने वाली रूबी ने एक टेलीविजन शो में अपना पूरा दर्द बयान किया। अभी इस पूरे मामले में जांच की जा रही है कि क्या रूबी को बर्लुस्कोनी ने सेक्स संबंधों के लिए रकम चुकाई थी। आरोप है कि जिस वक्त बर्लुस्कोनी ने रूबी के साथ संबंध बनाया उस वक्त रूबी की उम्र महज 17 साल की थी जो कि इटली में अपराध की श्रेणी में आता है | इटली के प्रधानमंत्री बर्लुस्कोनी के साथ एक मॉडल ने सेक्स करने की बात मानी है. इटली के प्रधानमंत्री सिल्विया बर्लुस्कोनी को लेकर चल रहा सेक्स स्कैंडल का मामला ठंडा पड़ने का नाम नहीं ले रहा है. इस मामले में एक लड़की ने कहा है कि उसने बर्लुस्कोनी के साथ सेक्स किया था.  टेलीग्राफ ने इटली की मीडिया की रिपोटरें के हवाले से लिखा है कि डोमिनिकन रिपब्लिक निवासी मारिया इस्टर गार्सिया पोलांको नामक इस 25 वर्षीय मॉडल ने प्रधानमंत्री के साथ

लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया

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- अरविन्द सीसोदिया   सीआरपीएफ ने लाल चौक पर फहराया तिरंगा श्रीनगर,   सीआरपीएफ ने बुधवार २६ जनवरी २०११  को यहां के एतिहासिक लाल चौक पर राष्ट्रीय ध्वज फहराया। राजधानी के बेहद संवेदनशील इस इलाके में भाजपा ने तिरंगा फहराने की घोषणा की थी, जिसको मुख्यधारा की पार्टियों ने एक उत्तेजक कदम बताया था। सीआरपीएफ ने पहले ही घोषणा कर दी थी कि उसके द्वारा लाल चौक के पैलेडियम पोस्ट पर सुबह 8:00 बजे राष्ट्रीय ध्वज फहराया , सीआरपीएफ के प्रवक्ता प्रभाकर त्रिपाठी ने तिरंगा फहराने की पुष्टि करते हुए कहा कि स्थानीय बटालियन के कमांडेंट ने पोस्ट पर राष्ट्रीय ध्वज  फहराया है। *** तिरंगा यात्रा का कारण  यह उठाना लाजिमी है कि भारतीय जनता पार्टी को 20 साल बाद लाल चैक पर तिरंगा फहराने की याद क्यों आयी। इसके जिम्मेदार भी उमर  अब्दुला ही है। भाजपा नेता मुरली मनोहर जोशी द्वारा 20 वर्ष पूर्व लाल चौक  पर तिरंगा फहराये जाने के बाद प्रतिवर्ष सुरक्षाबलों द्वारा राष्ट्रीय पर्वों   पर तिरंगा फहराया जाता था। गत स्वाधीनता दिवस पर उमर अब्दुला सरकार द्वारा लाल चौक  पर तिरंगा फहराये जाने का कोई कार्यक्रम नहीं किया गया। इस कारण

तिरंगे से बड़ी सत्ता है कांग्रेस के लिए

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- अरविन्द सीसोदिया तिरंगा जम्मू - कश्मीर में पहलीबार फहराने की बात हो रही हो यह नहीं है ,पहले भी कई वार और लगातार हर साल वहां तिरंगा फहराया जाता रहा है ! तिरंगे में आग भी लगाई जाती रही है , आग लगाने वालों पर कोई कार्यवाही नहीं होती क्यों की तिरंगे के अपमान के विरुद्ध दंड देने वाला कानून जम्मू और कश्मीर में लागू नहीं होता !  मगर कांग्रेस के समर्थन पर टिकी सरकार तिरंगा फहराने से मना कर रही है यह आश्चर्य है ..! और उससे बड़ा आश्चर्य कांग्रेस के द्वारा तिरंगा फहरानें से रोकने वालों की होंसला अफजाई है ..! कांग्रेस  सत्ता के लिए इतनी गिर सकती है यह सोचा भी नहीं जा सकता ...! दूसरी बात यह है की भाजपा की जम्मू के लाल चौक पर तिरंगा फहराने की कोशिस राजनीति से प्रेरित है तो आप तिरंगा फहरा कर उसके राजनैतिक एजेंन्ड़े को फेल करदो या हथिया लो ..! देश में राष्ट्रीय ध्वज का सम्मान भी कांग्रेस की कायरता का शिकार होता है तो यह स्थिति दुर्भाग्य    पूर्ण ही होगी!! उसकी  तमाम   विफलताओं  में  गिनती  बड़ाने  वालीं  होगी !    -  'राष्ट्रीय एकता यात्रा' जम्मू एवं कश्मीर की सीमा में प्रवेश      भारतीय ज

श्रीनगर में तिरंगा : शर्म आती है इस प्रधानमंत्री और केंद्र सरकार पर

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- अरविन्द सीसोदिया        अपने देश में अपना झंडा फहरानें के विरोध में देश की केंद्र सरकार सक्रीय हो यह भारत के अलावा कहीं भी देखनें में नहीं आसकता..., यह देश की इस कमजोर और कायर सरकार की असलियत के उजागर होने का भी अवसर है.....! जम्मू और कश्मीर तथा तिब्बत के मामलें में देश के साथ धोका और विश्वास घात की इबारत  कांग्रेस और उसके नेहरु वंश के ही नाम दर्ज है ! ये ही वे लोग हैं जिन्होनें ये नासूर बोये और बड़े किये ..! अब तो  इनकी असलियत ही प्रश्न चिन्हित है ? ये देश के हैं देश विरोधी सत्ता स्वार्थी हैं !! एक खबर है ----- 26 जनवरी २०११  को श्रीनगर के लाल चौक पर भाजपा कि युवा शाखा के द्वारा  राष्‍ट्रीय झंडा फहराने का मामला राष्‍ट्रीय स्‍तर पर तूल पकड़ चुका है। २४ जनवरी २०११ सोमवार को जम्‍मू पहुंचे भाजपा के आला नेताओं को एयरपोर्ट से नहीं निकलने दिया जा रहा है। भाजपा की सुषमा स्वराज, अरुण जेटली और अनंत कुमार जम्मू एयरपोर्ट पर ही धरने पर बैठ गए। चूंकि एयरपोर्ट का क्षेत्र केंद्र सरकार के अधीन है और जैसे ही ये नेता एयरपोर्ट से बाहर निकलकर जम्‍मू-कश्‍मीर राज्‍य के क्षेत्र में पहुंचेंगे, इन्‍हें ग

किन किन भारतीय नेताओं ने सुभाष बाबू को सोंपनें का सौदा किया था

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- अरविन्द सीसोदिया २३ जनवरी १८९७ में , आज के ही दिन जन्में थे नेताजी सुभाष चन्द्र बोस , जिन्होनें भारत कि स्वतंत्रता के लिए अदम्य  सहास  का प्रदर्शन करते हुए अपना जीवन भारत माता के चरणो में समर्पित कर दिया ! उनके सहास और बलिदान का मूल्यांकन यह है कि आज भी देश उन्हें जीवित देखना चाहता है और मानता है कि वे जीवित होते तथा भारत में होते तो देश विभाजित नहीं होता ...! अंग्रेजों की द्रष्टि में सुभाष भी सावरकर की ही तरह मानसिक रूप से घोर ब्रिटिश विरोधी थे ,तत्कालीन  ब्रिटिश प्रधान मंत्री एटली ने  ब्रिटिश संसद में घोषणा की थी कि भारतीय नेताओं से उनका समझौता हो गया  है सुभाष जैसे ही पकड़ में आयेंगे वे उन्हें ब्रिटेन को युद्ध अपराधी के रूप में सोंप देंग | उस समय भारतीय  नेता तो जवाहर लाल नेहरु ही थे ! आज यह जरुरी है कि यह भी जांच हो कि किन किन भारतीय नेताओं ने सुभाष  बाबू को सोंपनें का सौदा किया था ! - इस समझोते का अर्थ यह है कि नेताजी सुभाष की हवाई दुर्घटना में मौत नहीं हुई थी !  भारत की पहली सरकार ....  -  पूर्व एशिया पहुँचकर सुभाषबाबू ने सर्वप्रथम, वयोवृद्ध क्रांतिकारी रासबिहारी बोस से भ

काले धन का महा कुम्भ : भारत

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SWISS‑BANK‑BLACK‑MONEY.jpg 750 × 532 -  ...  जिनके नाम अकूत धन  स्विस बैंक के खाते  में   ... bhopalreporter.blogspot.com भास्कर डाट कॉम पर ,२१ जनवरी २०११ को एक समाचार है -  विदेशों में काली  कमाई जमा करने वालों की पहचान में जुटी सरकार    http://www.bhaskar.com/article/NAT-indian-govt-could-bring-black-money-back-1776996.html?HT3= कुछ अंश इस प्रकार से हैं ...... विदेशों में भारतीयों की खरबों रुपये की काली कमाई जमा है। विशेषज्ञ मानते हैं कि  भारत सरकार चाहे तो स्विस बैंक में खरबों रुपयों का काला धन जमा करने वाले भारतीयों के नाम का खुलासा हो सकता है। पर सरकार ने इस दिशा में कभी सक्रियता नहीं दिखाई। सरकार ने अब जो मदद मांगी है, उसका भी कोई नतीजा निकलने की उम्‍मीद नहीं है, क्‍योंकि दोनों सरकारों के बीच इस तरह की मदद करने संबंधी कोई समझौता नहीं है। टैक्स चोरी के मामलों पर निगाह रखने वाली संस्था टेक्स जस्टिस नेटवर्क के डायरेक्टर जॉन क्रिश्चियनसेन ने कहा है कि भारत का अरबों रुपया स्विस बैंक में जमा है और भारत यह रकम वापस ला सकता है। स्विटजरलैंड के वित्त विभाग ने भी भारत सरकार से कहा है कि

सुभाष जी का सच, सामने आना चाहिए ....!!

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 - अरविन्द सीसोदिया  जवाहरलाल  नेहरु  के  शव  के  पास  सुभाष जी का होना माना जाता है ...  http://uchcharandangal.uchcharan.com/2010/08/blog-post_18.html डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री मयंक द्वारा लिख गया लेख यथावत संलग्न है ... 1- ब्रिटिश पार्ल्यामेंट  में मि. एटिली (तत्कालीन प्रधानमंत्री) ने 18 अगस्त, 1945 में कहा था कि उनका भारतीय नेताओं से समझौता हो चुका है कि   नेता जी सुभाष चन्द्र बोस के पकड़े जाने पर उन्हें ब्रिटिश सरकार के हवाले कर दिया जायेगा! 2- 1948 में मास्को में दार्शनिक सम्मेलन में भाग लेने गये (पूर्व राष्ट्रपति) भारत के प्रख्यात दार्शनिक सर्वपल्ली राधाकृष्णन की मुलाकात  नेता जी सुभाष चन्द्र बोस  से हुई थी! 3-  नेता जी सुभाष चन्द्र बोस तिब्बत में एकनाथलाता के रूप में 1960 में रहे! 4- श्रीमती विजयलक्ष्मी पण्डित की मुलाकात 1948 में रूस में  नेता जी सुभाष चन्द्र बोस  से हुई थी! उस समय वे भारत की विदेश मंत्री थी! शांताक्रूज हवाई अड्डे पर उन्होंने यह घोषणा की थी कि वह भारतवासियों के लिए एक अच्छी खबर लाई हैं परन्तु नेहरू जी के दबाव में आकर उन्होंने जीवनभर अपनी जबान नहीं खोल