जय हो भ्रस्टाचार की : नियम तोड़कर ओएसडी को दिए आठ प्लॉट

 

जय हो भ्रस्टाचार की : भास्कर न्यूज.कोटा
पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया के तत्कालीन ओएसडी को रीको ने जमकर ऑब्लाइज किया। सरकारी सेवा में रहते हुए न केवल ओएसडी ने खुद के नाम रियायती दर पर आठ भूखंड आवंटित करवाए बल्कि पार्टनर्स के नाम भी जमीन आवंटित करवा ली। ये सभी भूखंड आवंटित तो अलग-अलग समय में हुए लेकिन रीको ने इतनी मेहरबानी दिखाई कि सारे भूखंड एक ही लाइन में आवंटित किए। इस प्रक्रिया से तत्कालीन ओएसडी राजेंद्र सिंह ने एक ही जगह खुद के नाम करीब 16 हजार वर्गमीटर जमीन इकट्ठी कर ली। सूचना के अधिकार के तहत मिली जानकारी में यह खुलासा हुआ है।

पीडब्ल्यूडी में एईएन राजेंद्र सिंह को पूर्व मंत्री ने ओएसडी बनाया था। सिंह ने अपने रसूखात का उपयोग करते हुए कोटा में नंाता के समीप पर्यावरण औद्योगिक क्षेत्र में रीको से आठ भूखंड खुद के नाम आवंटित करवाए। नियम है कि सरकारी सेवा में रहते हुए कोई खुद के नाम से व्यावसायिक गतिविधियां शुरू नहीं कर सकता जबकि सिंह ने वर्ष 2006 से 2010 के बीच कुल आठ भूखंड रियायती दर पर खरीदे।

इसमें से ४ भूखंड उन्होंने मौजूदा सरकार के कार्यकाल में खरीदे।
ये भूखंड उन्हें 200 रुपए प्रति वर्गमीटर की दर से आवंटित हुए। जिस जगह पर यह आवंटन हुआ उससे महज 5 प्लॉट छोड़कर ही रीको ने खुली नीलामी में 491 रुपए प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से एक अन्य फर्म को भूखंड आवंटित किए।
आरटीआई में भी हेराफेरी की कोशिश: रीको के अधिकारियों ने आरटीआई में भी गुमराह करने की कोशिश की। पहले मांगी गई सूचना में राजेंद्र सिंह की जगह राजेश सिंह बताया लेकिन पता ऑरिजनल '7-सी-13, महावीर नगर विस्तार योजना' ही था। दुबारा जब जानकारी मांगी तब सही सूचना दी।
तीन साल में एक ही फर्म को एक साथ लगते आठ भूखंड...? : राजेंद्र सिंह को आवंटित भूखंडों का संख्या क्रम एक के बाद एक है। सिंह की फर्म मैसर्स टेक्नो फ्लाई ऐश प्रोडक्ट के नाम 20 दिसंबर 2007 को भूखंड संख्या एफ-27, 29 अक्टूबर 2007 को भूखंड संख्या एफ-28, 22 अक्टूबर 2007 को भूखंड संख्या-29, 28 जनवरी 2010 को भूखंड संख्या एफ-32, 28 अक्टूबर 2009 को भूखंड संख्या एफ-33, 28 जनवरी 2010 को भूखंड संख्या एफ- 34 और एफ- 35 तथा 29 सितंबर 2009 को भूखंड संख्या एफ-26 भूखंड आवंटित हुए। उनके पार्टनर को एफ-30 और एफ 31 भूखंड 28 जनवरी और 29 अक्टूबर 07 को आवंटित हुए।
सब कुछ तुरत-फुरत में: आरटीआई कार्यकर्ता पंकज लोढ़ा ने बताया कि पूर्व मंत्री के ओएसडी राजेंद्रसिंह को भूखंड आवंटन में रीको ने सारे काम हाथोंहाथ निबटाए। आवंटन भी न्यूनतम दर पर किया गया। दिसंबर 2011 में रीको के वरिष्ठ क्षेत्रीय प्रबंधक ने एक पत्र के जवाब में इस बात को स्वीकार भी किया कि राजेंद्रसिंह ने आवंटन से पूर्व राजकीय सेवा में होने की जानकारी रीको से छिपाई। आवंटन के लिए शनिवार को निविदा निकली। सिंह ने बैंक ड्राफ्ट सहित अन्य सभी कागजी तैयारी भी शनिवार को ही पूरी कर ली। रविवार को छुट्टी थी और सोमवार को ऑफिस खुलते हुए सिंह को भूखंड आवंटित कर दिए। उन्होंने मामले की शिकायत मुख्यमंत्री से कर निष्पक्ष जांच की मांग की है।

तथ्य छिपाकर आवंटन करवाया तो हमारी क्या गलती
'वैसे तो रीको से कोई भी व्यक्ति भूखंड आवंटित करवा सकता है। रही बात सरकारी विभाग के कर्मचारी के भूखंड आवंटित होने की तो उसे नियमानुसार अपने विभाग से परमिशन लेनी होती है। रीको का इस बात से कोई लेना देना नहीं होता कि आवंटी सरकारी कर्मचारी है या नहीं। - जीसी जैन, क्षेत्रिय प्रबंधक,रीको, कोटा
खुद के नाम से नहीं, पत्नी व परिजनों के नाम से हो सकता है आवंटन
'कोई भी कर्मचारी सरकारी योजना में भूखंड ले तो सकता है, लेकिन अपने नाम से नहीं। अगर वह व्यवसायिक गतिविधि के लिए भूखंड लेता है तो पत्नी या अन्य परिजन के नाम से ले सकता है। लेकिन उसे संपत्ति का ब्यौरा तो देना ही पड़ेगा। अगर कोई तथ्य छिपाकर ऐसा करता है तो गलत है।'- जेपी गुप्ता, क्षेत्रीय प्रबंधक, रीको, जोधपुर
एक्सपर्ट व्यू-
यह तो जांच का विषय है:पूर्व कलेक्टर
'सरकारी सेवा में रहते हुए कोई भी व्यक्ति किसी भी सरकारी योजना का लाभ खुद के नाम से नहीं ले सकता। व्यवसायिक गतिविधि भी नहीं कर सकता। अगर कोई अपने परिजनों के नाम से कोई लाभ लेता है या व्यवसायिक गतिविधि करता है तो इसकी जानकाी सरकार को देना जरूरी है। रही बात रीको से मंत्री के ओएसडी द्वारा खुद के नाम से भूखंड आवंटन की, तो यह नियम विरुद्ध है। ये सरकारी कर्मचारियों के लिए बनी आचार संहिता के उल्लंघन की श्रेणी में आता है। आवंटन की प्रक्रिया से पहले रीको के जिम्मेदार अधिकारियों को जांच करनी चाहिए थी। यह जांच का विषय हैं।'- आरएस गठाला, पूर्व कलेक्टर, कोटा
-'मैंने रीको से नियमानुसार ही भूखंड आवंटित करवाए है। करीब एक साल पहले ही मैंने रिटायरमेंट ले लिया । सरकारी कर्मचारी भी नियमों के तहत खुद का व्यवसाय कर सकता है, और मैंने किया। मंत्री भाया के नाम का आवंटन में कहीं दुरुपयोग नहीं किया। कुछ लोग पता नहीं क्यों पीछे पड़े हुए है। मुख्यमंत्री तक भी शिकायत कर दी। अगर मैं गलत होता तो अब तक रीको आवंटन निरस्त कर चुका होता।'-राजेंद्रसिंह, निदेशक, मैसर्स टेक्नो फ्लाई ऐश प्रोडक्ट
 

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