अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया?

अमेरिका में लोकतन्त्र बहुत मजबूत हे और वहां सबसे ऊपर जनता हे , देश का कानून है । वहां लोकतंत्र मजबूत इसलिए है की दलों को भी अपने प्रत्याशी समर्थकों के द्वारा तय हुए घोषित करने पढ़ते हैं । टिकिटों की बन्दर बाँट नहीं हो पाती , इस कारण एरागेरा- नत्थू खैरा  इस प्रक्रिया में शामिल ही नहीं हो पाता ......आइये आजतक की वेब ब्यूरो की यह रिपोर्ट आपको अमरीकी चुनावों में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया से वाकिफ करवाती है ............................


बराक ओबामा, मिट रोमनी


क्‍या है अमेरिका में राष्‍ट्रपति चुनाव की प्रक्रिया?
आजतक वेब ब्‍यूरो | नई दिल्‍ली, 5 नवम्बर 2012
http://aajtak.intoday.in
इन दिनों पूरी दुनिया की नजर अमेरिका के राष्‍ट्रपति चुनाव पर है. अमेरिका में भी राष्‍ट्रपति पद के चुनाव के लिए किसी भी अन्‍य देश की तरह अमेरिकी नागरिक ही मतदान कर सकते हैं.
अमेरिकी चुनाव की प्रक्रिया बहुत लंबी भी है. विशेषज्ञों की नजर में राष्ट्रपति पद के चुनाव सालों से केवल दो ही पार्टियों डेमोक्रेटिक और रिपब्लिक के इर्द गिर्द ही घूमती है. वैसे तो अमेरिकी चुनाव 6 नवबंर को होना है, लेकिन इसकी शुरुआत प्राइमरी इलेक्शन से  हो जाती है. प्राइमरी का मतलब है जब अमेरिका के दो राजनीतिक दल रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी राष्ट्रपति पद के लिए अपने-अपने उम्मीदवारों का चुनाव करती हैं और फिर आधिकारिक रूप से अपने उम्मीदवारों के नाम का ऐलान करती हैं. अमेरिकी राष्ट्रपति पद का चुनाव दो चरणों में बंटा होता है, प्राइमरी और आम चुनाव. विभिन्न राज्यों में प्राइमरी चुनाव के जरिए पार्टियां अपने सबसे प्रबल दावेदार का पता लगाती हैं. अमेरिका में राष्ट्रपति पद के लिये कोई दो बार से अधिक चुनाव नहीं लड़ सकता और डेमोक्रेटिक पार्टी की ओर से मौजूदा राष्ट्रपति बराक ओबामा के मैदान में होने के कारण इस पार्टी की ओर से कोई प्राइमरी इस बार नहीं हुई, लेकिन रिपब्लिकन पार्टी की कई प्राइमरी हुई, जिसमें मिट रोमनी सबसे प्रबल दावेदार बनकर उभरे.
अमेरिका चुनाव में प्राइमरी इलेक्शन का चरण पूरा हो चुका है. प्राइमरी इलेक्शन प्राइमरी इलेक्शन को राष्ट्रपति चुनाव से पहले की प्रक्रिया के रूप में समझा जा सकता है. इसके तहत रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी अपने अपने उम्मीदवार चुनते हैं. इसके लिए सभी राज्य अपने अपने तरीकों से चुनाव कराते हैं. अमेरिका में प्राइमरी चुनाव भी दो तरीकों से होता है, पहला-प्राइमरी, और दूसरा कॉकस.
प्राइमरी तरीका ज्यादा परंपरागत है और अधिकतकर राज्यों में इसे ही अपनाया जाता है. इसमें आम नागरिक हिस्सा लेते हैं और पार्टी को बताते हैं कि उनकी पसंद का उम्मीदवार कौन सा है. वही, कॉकस चुनाव प्रक्रिया का प्रयोग ज्यादतर उन राज्यों में होता है, जहां पर पार्टी के गढ़ होते हैं. कॉकस में ज्यादातर पार्टी के पारंपरिक वोटर ही हिस्सा लेते हैं. जैसे इस बार प्राइमरी इलेक्शन की शुरुआत कॉकस प्रक्रिया से हुई थी और सबसे पहला कॉकस चुनाव आयोवा प्रांत में हुआ था. अमेरिका में दो ही प्रमुख राजनीतिक दल हैं : डेमोक्रेट और रिपब्लिक और 1869 से देश का राष्ट्रपति इन्हीं दो प्रमुख पार्टियों से रहा है. कांग्रेस की 535 सीटों में से 533 सीटों पर इन्हीं दोनों दलों का कब्जा है. इस समय सीनेट में डेमोक्रेट्स का तो प्रतिनिधि सभा में रिपब्लिकन का कब्जा है.
प्रत्येक राज्य के मतदाता अपने अपने उम्मीदवार के डेलीगेट के नाम वोट देते हैं और फिर वो डेलीगेट अपनी अपनी पार्टी नेशनल कन्वेंशन में एकत्रित होते हैं और सभी राज्यों से जिस प्रत्याशी के डेलीगेट ज्यादा होते हैं उसे उम्मीदवार घोषित कर दिया जाता है. इलेक्शन डे रिपब्लिकन और डेमोक्रेटिक पार्टी प्राइमरी इलेक्शन के जरिए अपने अपने उम्मीदवार चुनते हैं और पार्टी की नेशनल कन्वेंशन में आधिकारिक रूप से अपने अपने प्रत्याशियों का ऐलान करते हैं. आमतौर पर अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का प्राइमरी इलेक्शन फरवरी से मार्च के बीच होता है और फिर कुछ सप्ताह बाद ही पार्टियां उम्मीदवार का ऐलान कर देती हैं. यहां से चुनाव प्रचार शुरू होता है और फिर इलेक्शन डे आता है, जो कि सुपर ट्यूसडे को ही होता है. सुपर ट्यूसडे अमेरिकी चुनाव की परंपरा से जुड़ा है और ये नवंबर के पहले सप्ताह में आता है. इसी दिन राष्ट्रपति चुनाव होता है. जैसे इस बार 6 नवबंर को मंगलवार के दिन अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव होगा.
2012 चुनाव की बाकी सभी प्रक्रिया पूरी हो चुकी हैं और अंतिम दौर का प्रचार चल रहा है, इसके बाद इलेक्शन डे यानी 6 नवंबर को ओबामा और रोमनी की किस्मत का फैसला होगा. लेकिन जीतने के लिए किसी भी उम्मीदवार को कम से कम 270 वोट की जरूरत है. बराक ओबामा देश के 43वें राष्ट्रपति हैं और अभी तक का इतिहास बताता है कि 20 राष्ट्रपति फिर से राष्ट्रपति पद पर सत्तासीन होने में सफल रहे हैं. प्राइमरी इलेक्शन यानी अपनी पार्टी में उम्मीदवारी की रेस जीतने के बाद जब दोनों प्रत्याशी इलेक्शन डे में आमने सामने आते हैं और जनता वोट देती है. इलेक्शन डे के मतदान का तरीका भी प्राइमरी के जैसा ही है. जैसे वहां डेलीगेट चुने जाते हैं ठीक वैसे ही इलेक्शन डे में इलेक्टर्स चुने जाते हैं. इसे इलेक्टोरल कॉलेज कहा जाता है यानी ऐसा समूह जिसे अमेरिकी जनता चुनती है और फिर वो राष्ट्रपति की जीत का ऐलान करते हैं.
अमेरिकी इलेक्ट्रोरल कॉलेज में 538 इलेक्टर्स होते हैं. अब सवाल ये आता है कि ये संख्या 538 ही क्यों है, दरअसल ये संख्या अमेरिका के दोनों सदनों की संख्या का जोड़ है. अमेरिकी सदन हाउस ऑफ रिप्रजेंटेटिव्स यानी प्रतिनिधि सभा और सीनेट का जोड़ है. प्रतिनिधि सभा में 435 सदस्य होते हैं, जबकि सीनेट में 100 सांसद. इन दोनों सदनों को मिलाकर संख्या होती है 535. अब इसमें 3 सदस्य और जोड़ दीजिए और ये तीन सदस्य आते हैं अमेरिका के 51वें राज्य कोलंबिया से. इस तरह कुल 538 इलेक्टर्स अमेरिकी राष्ट्रपति चुनते हैं.

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