हिन्दू संतों की धर्म संसद में नरेंद्र मोदी की गूंज





हिन्दू संतों की धर्म संसद में नरेंद्र मोदी की गूंज
07 फरवरी 2013
कुंभनगर , इलाहाबाद ( आशुतोष झा ) अयोध्या के नाम पर जुटी धर्म संसद के केंद्र में राम नाम था, लेकिन रट गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम की भी लगी। भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह जिन संतों से आशीर्वाद लेकर दिल्ली लौटे,उन्होंने दूसरे ही दिन यह याद दिलाने में कोताही नहीं कि उनको मोदी का इंतजार है। सच्चाई यह थी कुछ समय के लिए धर्म संसद का पूरा माहौल राजनीतिक हो गया।
संघ प्रमुख माननीय मोहन भागवत ने भी अनुकूल सरकार की बात के साथ मोदी को अच्छा दोस्त बताते हुए परोक्ष रूप से यह संकेत दे दिया वह भी गुजरात के मुख्यमंत्री के पक्ष में हैं। वहीं संतों ने भाजपा को आश्वासन दिया कि अयोध्या पर भरोसा दिलाएं तो वे फिर बहुमत की संख्या दिलाएंगे। मोदी 12 तारीख को कुंभ में डुबकी लगाएंगे। संभावना जताई जा रही है कि वह किसी धार्मिक समारोह में हिस्सा लेने से बचेंगे। बहरहाल कुंभ में जमा संत समाज उनके लिए रेड कारपेट बिछाए बैठा है।
गुरुवार को इसकी पूरी झलक दिख गई, जब विहिप की ओर से आयोजित धर्म संसद में भी उन्हें प्रधानमंत्री बनाने की मांग उठी। जगतगुरु रामानुजाचार्य ने जब मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाने की पैरवी की तो नीचे बैठे सैकडों संतों ने ताली बजाकर इसका स्वागत किया। दूसरे संत की बारी आई तो उन्होंने और आगे बढ़ते हुए कहा- अगर मोदी को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया जाता है तो वह उनके लिए प्रचार करेंगे। तीसरे संत उठे तो उन्होंने भाजपा को सुझाव दिया कि राम मंदिर निर्माण के लिए अगर राजग तैयार नहीं होता है तो उसे छोड दें। संत समाज भाजपा को वह बहुमत दिलाएगा ।
राम के नाम पर जुटे संतों के बीच मोदी नाम कुछ इस तरह छाया कि विहिप को बीच में टोकना पडा। लेकिन उसके बावजूद रंग न मिटा। माननीय मोहन भागवत से लेकर दूसरे नेताओं और संतों ने परोक्ष रूप से यह संकेत दिया कि उनकी आशाएं भाजपा सरकार ही पूरी कर सकती है। भागवत ने कहा कि हमें मंदिर चाहिए और जो इस दिशा में काम करेंगे, उसे हमारा समर्थन होगा। नेतृत्व तय करना पार्टी का काम है। इससे पहले विहिप के शिविर में भी उन्होंने कहा था कि अनुकूल सरकार होगी तो राम मंदिर का रास्ता आसान होगा। उस वक्त भी मोदी समर्थकों ने नारा लगाया।
बाद में एक सवाल के जवाब में भागवतजी ने सिर्फ इतना कहकर चुप्पी साध ली थी कि मोदी उनके अच्छे दोस्त हैं। जाहिर है कि परोक्ष रूप से उन्होंने भी मोदी के नाम पर मुहर लगा दी। ध्यान रहे इससे पहले भी मोदी का संकेत देते हुए उन्होंने कहा था कि देश में हिंदुत्ववादी प्रधानमंत्री होना चाहिए। स्पष्ट संकेत हैं कि धर्म संसद को भाजपा के चुनावी एजेंडे से अलग भले ही बताया जा रहा हो, मगर चाहे-अनचाहे आगामी विधानसभा चुनावों में भी भाजपा के हिंदुत्ववादी चेहरे को निखारने की कोशिश हो सकती है।
भाजपा घोषणापत्र में शामिल हो सकती है गंगा
कुंभ नगर। राम नाम के जाप में धर्म संसद में गंगा अभियान भले ही दब गया हो, भाजपा गंगा की धारा के साथ अपना विस्तार करने की कोशिश करेगी। हिंदू आस्था से जुडी गंगा को पार्टी के घोषणापत्र में जगह मिल सकती है।
श्रद्धा के महाकुंभ में विहिप द्वारा आयोजित धर्म संसद का एक बडा एजेंडा गंगा अभियान भी था। लेकिन, पूरी तरह राजनीतिक हो गई इस सभा में गंगा गौण हो गई। छिटपुट चर्चा के अलावा किसी संत ने भी उसका नाम नहीं लिया। सूत्रों का हालांकि मानना है कि भाजपा गंगा को बडा चुनावी मुद्दा बना सकती है।
पिछले साल भाजपा कार्यकारिणी की बैठक में गंगा पर एक प्रस्ताव पारित कर उमा भारती को अभियान का जिम्मा दिया गया था। इसका एक चरण पूरा हो चुका है। पार्टी को लगता है कि इस मुद्दे के सहारे भी हिंदू आस्था को जोडा जा सकता है। वहीं, यह विकास का भी एजेंडा होगा। लिहाजा इसे पार्टी घोषणापत्र में जगह दी जा सकती है।


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