होली और होली गीत






फाग के भीर अभीरन में गहि गोविन्दै लै गई भीतर गोरी।
भाई करी मन की 'पद्माकर' ऊपर नाई अबीर की झोरी।
छीन पिताम्बर कम्मर ते सु बिदा दई मीड़ कपालन रोरी।
नैन नचाइ, कही मुसकाइ लला फिरी अइयो खेलन होरी।
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होली

होली वसंत ऋतु में मनाया जाने वाला एक महत्वपूर्ण भारतीय त्योहार है। यह पर्व हिंदू पंचांग के अनुसार फाल्गुन मास की पूर्णिमा को मनाया जाता है। रंगों का त्योहार कहा जाने वाला यह पर्व पारंपरिक रूप से 5 दिन मनाया जाता है। पहले दिन को होलिका जलायी जाती है, जिसे होलिका दहन भी कहते है। दूसरे दिन, जिसे धुरड्डी, धुलेंडी, धुरखेल या धूलिवंदन कहा जाता है, लोग एक दूसरे पर रंग, अबीर-गुलाल इत्यादि फेंकते हैं, ढोल बजा कर होली के गीत गाये जाते हैं, और घर-घर जा कर लोगों को रंग लगाया जाता है। ऐसा माना जाता है कि होली के दिन लोग पुरानी कटुता को भूल कर गले मिलते हैं और फिर से दोस्त बन जाते हैं। एक दूसरे को रंगने और गाने-बजाने का दौर दोपहर तक चलता है। इसके बाद स्नान कर के विश्राम करने के बाद नए कपड़े पहन कर शाम को लोग एक दूसरे के घर मिलने जाते हैं, गले मिलते हैं और मिठाइयाँ खिलाते हैं।
राग-रंग का यह लोकप्रिय पर्व वसंत का संदेशवाहक भी है। राग अर्थात संगीत और रंग तो इसके प्रमुख अंग हैं ही, पर इनको उत्कर्ष तक पहुँचाने वाली प्रकृति भी इस समय रंग-बिरंगे यौवन के साथ अपनी चरम अवस्था पर होती है। फाल्गुन माह में मनाए जाने के कारण इसे फाल्गुनी भी कहते हैं। होली का त्योहार वसंत पंचमी से ही आरंभ हो जाता है। उसी दिन पहली बार गुलाल उड़ाया जाता है। इस दिन से फाग और धमार का गाना प्रारंभ हो जाता है। खेतों में सरसों खिल उठती है। बाग-बगीचों में फूलों की आकर्षक छटा छा जाती है। पेड़-पौधे, पशु-पक्षी और मनुष्य सब उल्लास से परिपूर्ण हो जाते हैं। खेतों में गेहूँ की बालियाँ इठलाने लगती हैं। किसानों का ह्रदय ख़ुशी से नाच उठता है। बच्चे-बूढ़े सभी व्यक्ति सब कुछ संकोच और रूढ़ियाँ भूलकर ढोलक-झाँझ-मंजीरों की धुन के साथ नृत्य-संगीत व रंगों
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नई दिल्ली। रंग बरसे भीगे चुनर वाली रंग बरसे, होली रे। इस तरह के गाने हर साल आपको होली के दिन सुनने को मिल जाते होंगे। बिना नाचे गाने के यह रंगों को त्योहार अधूरा सा होता है। बॉलीवुड फिल्मों में तमाम ऐसे होली के गाने है जो इस रंगों के फेस्टिवल में चार चांद लगा देते हैं। होली के यह गाने आपको झूमने पर मजबूर कर देते हैं।

अमिताभ बच्चन और रेखा पर फिल्माया गाना 'रंग बरसे' का आज तक होली के मौके पर छेड़छाड़ और मस्ती का माहौल बनाने में इस गाने का कोई तोड़ नहीं है। इतना ही नहीं मदर इंडिया का सुपरहिट गीत 'होली आई रे कन्हाई'। इस मधुर गीत का जादू आज भी बरकरार है। फिल्म कटी पतंग का गाना 'आज ना छोडेंगे' होली पर खूब मशहूर हुआ है। इसमें राजेश खन्ना खूब होली के रंग में रंगते नजर आए हैं।

फिल्म बागबां में 'होली खेले रघुवीरा' गाने में हेमा मालिनी संग अमिताभ रंगों से खूब होली खेलते नजर आएं हैं, दोनों को इस गाने में मस्ती कर देख ऐसा लगता है कि मानो इस त्योहार में हर दिल को जवान रखने की क्षमता है। बस अब आप लोग भी अभी से होली के गाने डाउनलोड कर तैयार रहिए नाचने के लिए।

दीपक श्रीवास्तव » भोजपुरी होली गीत
भोजपुरी होली गीत


फगुवा में भंगवा के ले ल चुसकी।
बुढवा सटक गईल, अब पटकी।।

मस्ती के तरंग बा, तरंग में उमंग बा,
लागता के सबकर एक्के गो ढंग बा।
ऐ चाचा, ऐ बाबा, कहाँ गईलू हो भौजी
केहुवो चिन्हाते नईखे, मुंहवा पे रंग बा।
उज्ज़र कपड़वा त अब खटकी।
बुढवा सटक गईल, अब पटकी।।1।।

भर पिचकारी रंग घोर मारे ससुरा,
भौजी त मगन रंग जोर मारे भसुरा।
पकड़ हो, छोड़ हो, भाग हो, दौर हो
दूबे पाणे भाग भइलें, फंस गईलें मिसरा।
गोझिया मिठईया सब केहू गटकी।
बुढवा सटक गईल, अब पटकी।।2।।

प्रेम ठिठोलिया के होली त्योहार बा,
लागता के आज त अलगे संसार बा।
लाल बाटे, पीला बाटे, हरा औरी नीला बाटे
इन्हीं में घोर द हो मन में जो रार बा।
रंगवा भरल भर-भर मटकी।
बुढवा सटक गईल, अब पटकी।।3।।
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कृष्‍ण कुमार चन्‍द्रा का होली गीत
होली गीत

बिना रंग लगाये मैं हो गया लाल
तेरी आंखों का है ये कमाल गोरी
फागुन मदमस्‍त हुआ, आया मधुमास रे
मन की अगन से ही, खिलता पलाश रे
भौंरों ने बदली है चाल गोरी...
तेरी आंखों का है ये कमाल गोरी
मौसम मधुशाला है, महुआ गिलास में
फूलों की खुशबू है, उजले लिबास में
होठों की लाली सम्‍भाल गोरी...
तेरी आंखों का है ये कमाल गोरी
तू मेरी मीरा है, तू ही तो राधा
जीवन भर मैंने तो, तुमको ही साधा
मैं ही हूँ तेरा नंदलाल गोरी...
तेरी आंखों का है ये कमाल गोरी
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रचनाकार: रमा द्विवेदी

आयी है रंगो की बहार
गोरी होली खेलन चली
ललिता भी खेले विशाखा भी खेले
संग में खेले नंदलाल...
गोरी होली खेलन चली ।
लाल गुलाल वे मल मल लगावें
होवत होवें लाल लाल...
गोरी होली खेलन चली
रूठी राधिका को श्याम मनावें
प्रेम में हुए हैं निहाल...
गोरी होली खेलन चली
सब रंगों में प्रेम रंग सांचा
लागत जियरा मारै उछाल...
गोरी होली खेलन चली
होली खेलत वे ऐसे मगन भयीं
मनुंआ में रहा न मलाल...
गोरी होली खेलन
तन भी भीग गयो मन भी भीग गयो
भीगा है सोलह शृंगार...
गोरी होली खेलन चली
झ्सको सतावें उसको मनावें
कान्हा की देखो यह चाल...
गोरी होली खेलन चली
कैसे बताऊँ मैं कैसे छुपाऊँ
रंगों ने किया है जो हाल...
गोरी होली खेलन चली
आओ मिल के प्रेम बरसायें
अम्बर तक उड़े गुलाल...
गोरी होली खेलन चली ।

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रचनाकार: गुलाब खंडेलवाल
मेरी आँखों में पड़ गयी गुलाल, पिया!
रेशम की सुन्दर साड़ी मसक गयी, प्रीत बनी जंजाल, पिया!

रूप निगोड़ा कहाँ लेके जाऊँ, लद गयी फूलों से डाल, पिया!
रस के भरे कचनार-सी बाँहें, गोरे गुलाब-से गाल, पिया!

मान भी कैसे करूँ अब तुमसे, आये बिताकर साल, पिया!
इतने दिनों पर याद तो आयी! हो गयी मैं तो निहाल, पिया!

एक ही रंग में भीजे हैं दोनों, एक है दोनों का हाल, पिया!
साँवरे-गोरे का भेद कहाँ अब, तन-मन लाल ही लाल, पिया!

आँखों में अंजन, माथे पे बिँदिया, हाथ अबीर का थाल, पिया!
बचके गुलाब अब जा न सकोगे, लाख चलो हमसे चाल, पिया!

मेरी आँखों में पड़ गयी गुलाल, पिया!
रेशम की सुन्दर साड़ी मसक गयी, प्रीत बनी जंजाल, पिया!
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वसंत रागिनी- कोटा शैली में रागमाला शृंखला का एक लघुचित्र

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"जननी जन्मभूमि स्वर्ग से महान है"।

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तेरा वैभव अमर रहे माँ, हम दिन चार रहें न रहे।

खींची राजवंश : गागरोण दुर्ग