जम्मू-कश्मीर - विपदा में बचाया वीरों ने




जम्मू-कश्मीर  - विपदा में बचाया वीरों ने
तारीख: 13 Sep 2014
- जम्मू से बलवान सिंह

कश्यप ऋषि की जिस तपस्थली, कश्यपमर्ग घाटी को प्रकृति ने धरती का स्वर्ग सा सौंदर्य दिया, आज वही जम्मू-कश्मीर प्रकृति के कोप से थराथरा उठा है। तीन दिन तक लगातार ऐसी मूसलाधार बारिश हुई कि जिसने घाटी को कई स्थानों पर 30 से 40 फुट तक डुबा दिया। हाहाकार मच गया, लोगों की जान पर बन आई, लेकिन ऐसे में सेना के बहादुर जवानों और संघ के स्वयंसेवकों ने सबसे पहले पहंुचकर नागरिकों को तेजी से सुरक्षित स्थानों पर पहंुचाया। भोजन और पानी की व्यवस्था की। बारिश, बाढ़ व भूस्खलन में अब तक 250 के करीब लोगों की जान जा चुकी है, 5 लाख लोगों को बचाया जा चुका है। सड़कें, पुल, घर, फसलें बुरी तरह तबाह हो चुकी हैं। जम्मू संभाग के पुंछ-राजोरी तथा कश्मीर के श्रीनगर व दक्षिण कश्मीर में बिजली, पानी, दूरसंचार सेवाएं पूरी तरह ठप्प पड़ी हैं। जम्मू-श्रीनगर राष्ट्रीय राजमार्ग सहित जम्मू संभाग के कई मार्ग बंद पड़े हैं जबकि सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ व अन्य सुरक्षा एजेंसियों द्वारा जारी राहत अभियान के चलते 70 हजार के करीब लोगों को बचाकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया गया है। इस बीच कई लोग लापता हैं जिसके चलते मरने वालों का आंकड़ा और भी बढ़ सकता है। श्रीनगर व दक्षिण कश्मीर में अभी भी चार से पांच लाख के करीब लोग फंसे हुए हैं जिन्हें सेना व अन्य सुरक्षा एजेंसियां सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटी हुई हैं। पिछले साठ सालों में पहली बार चारों तरफ चीख, पुकार व तबाही का मंजर दिखाई दे रहा है। बारिश की शक्ल में आई आफत से जो नुकसान राज्य को झेलना पड़ा है उससे उबरने में बरसों लग जाएंगे, देखते ही देखते सब कुछ उजड़ गया है। जितने इस तबाही में बर्बाद हो गए या मर गये हैं उससे कहीं ज्यादा वे हैं जिनकी हालत मौत से भी बदतर है और हर पल जीवन की जंग लड़ रहे हैं।
सेना, वायु सेना, एनडीआरएफ के सामने लाखों लोगों को बचाने की बड़ी चुनौती है। दक्षिण कश्मीर के कई इलाकों में अभी तक भी राहत कार्य शुरू नहीं हो पाया है। केवल जम्मू संभाग में ही 151 लोगों की मौत हो चुकी है। जम्मू संभाग के जिला पुंछ, राजौरी, जम्मू, उधमपुर, रियासी में भी काफी तबाही मची है। सड़कें, पुल, घर व फसले बुरी तरह तबाह हुई हैं। जम्मू शहर में बहती तवी नदी पर भगवती नगर में बने चौथे पुल के बह जाने से बेली चाराना सहित कई क्षेत्रों में पानी ने तबाही मचाई है।
इस राहत अभियान में सेना के हजारों जवानों सहित वायु सेना के 71 छोटे-बड़े विमान राहत कार्य में जुटे हैं जिनके माध्यम से प्रभावित इलाकों में 580 टन सामान फेंका गया है। इसके साथ ही 13 चेतक व पांच एडवांस लाइट हैलीकाप्टर भी रोजाना 120 के करीब उड़ानें भर रहे हैं। राहत कार्य में सेना की 135 नौकाएं व एनडीआरफ की 148 नौकाएं लोगों को बचाने में जुटी हुई हैं। सेना ने प्रभावितों में 7500 कंबल 220 टेंंट, 48 हजार लीटर पानी, 800 किलो बिस्कुट, 8 टन बेबी फूड व एक हजार भोजन के पैकेट फेंके हैं। इसके अलावा सेना की 80 मेडिकल व 15 इंजीनियरिंग टीमें भी राहत अभियान में जुटी हैं। श्रीनगर-लेह मार्ग सुचारु होने से सेना की 14 कोर भी 15 कोर के साथ पूरे दम खम से राहत कार्य में शामिल हो गयी है।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जम्मू-कश्मीर का दौरा कर इस मुश्किल घड़ी में केन्द्र की ओर से हर संभव सहायता देने का ऐलान करते हुए एक हजार करोड़ अतिरिक्त राहत राशि राज्य को देने के साथ मृतकों को 2-2 लाख व घायलों को 50-50 हजार रुपए देने की भी घोषणा की है। प्रधानमंत्री ने इसे राष्ट्रीय आपदा के समान बताते हुए कहा है कि केन्द्र सरकार राज्य के हर नागरिक को बचाने व राहत पहुंचाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ेगी। सेना द्वारा शुरू किए गए ऑपरेशन मेघ राहत के तहत दिन रात बचाव व राहत का कार्य जारी है। हैलीकाप्टरों, नौकाओं व अस्थायी पुल बनाकर लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहंुचाया जा रहा है। श्रीनगर व दक्षिण कश्मीर पूरी तरह जलमग्न हो गया है व लोगों ने अपने घरों व होटलों की छतों पर पनाह ले रखी है। सेना के जवान अपनी जान की परवाह किए बिना मदद के लिए तरस रहे हर आखिरी आदमी तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।
दूसरी ओर कश्मीर घाटी में स्थानीय प्रशासन राहत कायोंर् में पूरी तरह नाकाम हो चुका है। हालत यह है कि घाटी की भौगोलिक स्थिति से अनजान केन्द्रीय एजेंसियों को ही राहत कार्य संभालना पड़ रहा है। बिजली, पानी व दूरसंचार सेवाओं के अभाव में उनमें कई बार तालमेल नहीं बन पा रहा है। राज्य सचिवालय, पुलिस मुख्यालय सहित कई सरकारी भवनों में पानी भरा है उसके कर्मचारी खुद अपने-अपने घरों में फंसे हुए हैं जिन्हें भी सेना बचाने में जुटी हुई है। हालत यह है कि राहत व बचाव कायोंर् की निगरानी करने वाले राज्य प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी भी श्रीनगर में अधिकारियों से सम्पर्क और तालमेल के लिए जूझ रहे हैं। यह कहना अनुचित नहीं होगा कि श्रीनगर में राज्य प्रशासन का नामोनिशान नहीं है। यहां तक कि उमर सरकार केन्द्र सरकार को अपनी जरूरतें भी नहीं बता पा रही है। राज्य सरकार की जरूरतों को समझने के लिए यहां के संयुक्त सचिव योजना बी़ आऱ शर्मा को दिल्ली तलब किया गया है और उन्हें दिल्ली में रहकर ही राज्य और केन्द्रीय एजेंसियों के साथ तालमेल करने को कहा गया है।
अन्य राज्य भी मदद के लिए आगे आए
राज्य में प्रलयकारी बाढ़ और इससे मची तबाही के बाद देश के कई राज्य भी जम्मू-कश्मीर की मदद को आगे आए हैंं। उत्तर प्रदेश ने 20 करोड़, बिहार ने 10 करोड़, ओडिशा ने 5 करोड़, उतराखण्ड ने 10 करोड़ व गुजरात ने 5 करोड़ राहत राशि देने का ऐलान किया है। आने वाले समय में सहयोग करने वाले राज्यों की सूची बढ़ सकती है।
सेना बनी देवदूत
सेना ने जम्मू-कश्मीर में युद्घ स्तर पर राहत व बचाव कार्य चलाया हुआ है। अभी तक 65 हजार लोगों को सेना ने सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के साथ ही प्रभावितों को राशन, पानी व दवाईं उपलब्ध करवाई हैं। सैनिकों को देख लोगों में जीने की उम्मीद जाग रही है। कल तक जो सेना को वापस जाने व गालियां देने का काम करते थे आज उन्हें सेना पर गर्व महसूस हो रहा है। उनके जानमाल की रक्षा करने वाली सेना आज उनके लिए देवदूत बनी हुई है। सेना के जवानों ने भी लोगों की सुरक्षा व राहत के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। अपनी जान पर खेल कर भी लोगों को बचाया जा रहा है।
बचाव कार्य मेंजुटे स्वयंसेवक- जम्मू-कश्मीर में आई इस तबाही के दौरान राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यकर्ताओं ने राहत व सहयोग कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। जम्मू, पुंछ, राजौरी, उधमपुर, रियासी सहित राज्य के अन्य क्षेत्रों में भी संघ के स्वयंसेवक लोगों की मदद के लिए आगे आए। इस मुसीबत की घड़ी में फंसे लोगों के लिए लंगर लगाए व अन्य जरूरत का सामान मुहैया करवाया गया।
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के उत्तर क्षेत्र प्रचारक श्री रामेश्वर, सह क्षेत्र प्रचारक श्री प्रेम कुमार, प्रांत संघचालक ब्रि़ सुचेत सिंह, प्रांत कार्यवाह श्री पुरुषोतम दधीचि, प्रांत प्रचारक श्री रमेश पप्पा व प्रांत प्रौढ़ प्रमुख श्री सतपाल गुप्ता की एक आपात बैठक हुई जिसमें प्रभावितों के पुनर्वास को लेकर योजना बनाई गई। बैठक में निर्णय लिया गया कि जम्मू-कश्मीर सहायता समिति के माध्यम से प्रभावितों को सहयोग व राहत पहुंचाई जाएगी। इसके लिए जम्मू-कश्मीर सहायता समिति के स्टेट बैंक ऑफ इंडिया की कच्ची छावनी शाखा में चल रहे खाता संख्या 10167775167 (आईएफएसएन-एसबीआईएन 0002374) को राहत कार्य में लाया जायेगा जिसमें 80-जी की सुविधा भी उपलब्ध है। जम्मू-कश्मीर सहायता समिति का एक दल कश्मीर घाटी भेजा जायेगा जो वहां होने वाले पुनर्वास कार्य की योजना तैयार करेगा। इस अवसर पर सबसे अपील की गई है कि जो भी जम्मू-कश्मीर में प्रभावितों की मदद करना चाहते हैं वे उक्त खाते में सहयोग राशि जमा करवा सकते हैं।  

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