आपातकाल के मीसा, डीआईआर बंदियों का जेलों में रिकॉर्ड नहीं



आपातकाल के मीसा, डीआईआर बंदियों का जेलों में रिकॉर्ड नहीं
आनंद चौधरी|  May 13, 2014,
जयपुर. आपातकाल (1975 -77) के दौरान जेलों में यातना सहने वाले आधे से ज्यादा मीसा और डीआईआर बंदियों को नियम के फेर में पेंशन से महरूम रहना पड़ सकता है। दरअसल, पेंशन के लिए उन्हीं को पात्र माना गया है जो प्रदेश के मूल निवासी हैं और यहां की जेलों में बंद रहे। आवेदन के साथ जेल में बंद रहने का सर्टिफिकेट मांगा है, लेकिन कई जेलों में रिकॉर्ड नहीं है। जेल प्रशासन का कहना है कि 40 साल पुराना मामला होने से रिकॉर्ड जर्जर हैं। फटे-पुराने कागजों को जोड़कर सर्टिफिकेट दिए गए हैं। पूर्व सांसद रघुवीर सिंह कौशल, सवाई माधोपुर के नेता गिर्राज किशोर शर्मा का रिकॉर्ड भी नहीं है। कौशल को तो आरटीआई के तहत भी रिकॉर्ड हासिल नहीं हो पाया।  आपातकाल में सैकड़ों नेताओं की प्रदेश में गिरफ्तारी हुई थी। नियमों के तहत ये पेंशन से वंचित हो सकते हैं। यूपी, उत्तराखंड और एमपी में मीसा बंदियों को स्वतंत्रता सेनानी का दर्जा देकर 15 हजार पेंशन दी जा रही है, लेकिन राजस्थान के नेताओं की पेंशन में नियम रुकावट बने हैं।

शुरुआत में 850 को पेंशन
2222 नेता राज्य के आपातकाल के दौरान मेंटेनेंस ऑफ इंटरनल सिक्योरिटी एक्ट (मीसा), डिफेंस ऑफ इंडिया रूल्स (डीआईआर), धारा 151 और 107 के तहत विभिन्न जेलों में बंद रहे 850 को ही पेंशन मिल पाएगी शुरू में। ये वो नेता हैं, जिन्होंने प्रदेश की जेलों में बंद रहने का रिकॉर्ड दे दिया है | 40 साल में आधे से ज्यादा नेताओं की मौत हो चुकी है, तो कुछ नेता रिकॉर्ड नहीं मिल पाने के कारण आवेदन नहीं कर पाए।

इन जेलों में रिकॉर्ड नहीं
टोंक, झालावाड़, बाड़मेर, चित्तौडग़ढ़, जैसलमेर, कोटा, उदयपुर बांसवाड़ा आदि। कौशल किशोर जैन बताते हैं कि जेल प्रशासन की दलील है कि 10-15 साल पुराना रिकॉर्ड नहीं है, तो 40 साल पुराना रिकॉर्ड कहां से लाएं?

सरकार गई, योजना बंद
पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार ने 1 अप्रैल  2008 को मीसा बंदियों के लिए पेंशन करने की घोषणा की थी, दिसंबर 2008 में सरकार बदलते ही योजना पर रोक लगा दी गई। वसुंधरा ने फिर सत्ता में आते ही इसे लागू करने का मानस बनाया है। बंदियों को प्रति माह 12 हजार रु. पेंशन,1200 रु. चिकित्सा भत्ता दिया जाएगा। जिन बंदियों की मृत्यु हो चुकी है उनकी पत्नी पेंशन की हकदार होगी।

॥राजस्थान के मूल निवासी और प्रदेश की जेल में बंद रहने वाले ही पेंशन के दायरे में आएंगे। 30 अप्रैल तक बंदियों के आवेदन मांगे हैं। 
- राकेश श्रीवास्तव, अतिरिक्त मुख्य सचिव सामान्य प्रशासन विभाग 


॥मीसा बंदियों का रिकॉर्ड जर्जर हो गया है। फटे-पुराने कागजों को जोड़कर सर्टिफिकेट दिए गए हैं। कागज इतने पुराने हैं कि रिकॉर्ड खंगालने में पांच दिन लग गया। 
- राकेश भार्गव, अधीक्षक, अजमेर कारागार 

॥ सरकार चाहे तो आपातकाल में बंद रहे कैलाश मेघवाल, घनश्याम तिवाड़ी और गुलाबचंद कटारिया की कमेटी बनाकर फैसला कर ले कि कौन लोग जेलों में रहे।
- कौशल किशोर जैन, मीसा बंदी, पूर्व एमएलए और लोकतंत्र रक्षा मंच राजस्थान के संस्थापक अध्यक्ष

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