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तीन तलाक की प्रथा खारिज : सुप्रीम कोर्ट

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तीन तलाक के खिलाफ पहली जंग छेड़ने वाली शायरा बानो को तलाकनाम टेलीग्राम से भेजा गया था। नई दिल्ली. पहले 1985 और अब 2017। 32 साल में दो बार ऐसे मौके आए जब तीन तलाक की विक्टिम महिलाओं के फेवर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया। मुस्लिमों में तीन तलाक एक ऐसी प्रथा है जिसके तहत कोई भी शख्स पत्नी को तीन बार तलाक बोलकर उसे छोड़ सकता है। इस प्रथा के खिलाफ ताजा मामले में 38 साल की शायरा बानो ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। शायरा को उनके पति ने टेलीग्राम से तलाकनामा भेजा था। उनके दो बच्चे हैं, लेकिन वे एक साल से उन्हें देखने को तरस रही हैं। शायरा की पिटीशन पर मंगलवार को फैसला आया। बेंच ने तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया। इससे पहले 1985 में सुप्रीम कोर्ट ने शाहबानो के फेवर में फैसला सुनाया था। दोनों केस में क्या फर्क?    शाहबानो                               शायरा बानो केस किसे चैलेंज       तीन तलाक के बाद कम गुजारा भत्ता तलाक-ए-बिद्दत SC में कब पहुंचा केस 1981                                     2016 कब आया फैसला         1985